भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला एक सीख, बाल्यकाल में गायें चराते चरवाहे के तौर पर प्रकृति प्रेम का संदेश दिया तो युवा काल में बालसखा सुदामा से मित्रता निभाकर नई मिसाल कायम की
रुड़की। भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला एक सीख है। बाल्यकाल में गायें चराते चरवाहे के तौर पर प्रकृति प्रेम का संदेश दिया तो युवा काल में बालसखा सुदामा से मित्रता निभाकर नई मिसाल कायम की। एक युग बाद इन सीखों की अहमियत और बढ़ गई है। हमें भगवान का अनुसरण करना चाहिए नकल नहीं, नकल करेंगे तो हम समाज में अपमानित होंगे। कृष्ण ने प्रेम की भाषा का ज्ञान दिया तो धर्म की स्थापना के लिए महाभारत भी हुआ। उन्होंने असुरों का संहार किया तो भक्तों की हर इच्छा पूरी भी की। गीता में दिए गए भगवान कृष्ण के उपदेश का अनुपालन जीवन को सही राह दिखाते हैं। भगवान कृष्ण के जीवन से ज्ञान लेकर इनको अपने जीवन में अनुसरण करेंगे तो आपका जीवन सरल और आनंदमय बना सकता है।
जीवन दर्शन: श्री कृष्ण को देवकी ने जन्म दिया तो यशोदा पाला। उन्होंने हमेशा दोनों को समान दर्जा दिया।
सीख: पालने वाला भी जन्म देने वाले के बराबर दर्जा रखता है।
पर्यावरण से प्रेम
जीवन दर्शन: श्रीकृष्ण ने गोकुल में एक ग्वाले के तौर पर बचपन बिताया। गाय चराने के साथ बाकी पशु-पक्षियों से भी उनका गहरा लगाव था।
सीख: हम जिस तरह अपने परिवार से प्रेम करते हैं, उसी तरह पर्यावरण से भी प्रेम करने की जरूरत है।
गुरु बनें तो सफलता का श्रेय न लें
जीवन दर्शन: महाभारत युद्ध पांडवों ने श्रीकृष्ण की कूटनीति से लड़ा। उन्होंने एक गुरु की तरह मार्गदर्शन किया और अर्जुन के सारथी बने, लेकिन जीत का श्रेय भीम-अर्जुन को दिया।
सीख: एक गुरु के तौर पर किसी को कुछ सिखाएं तो उसकी सफलता का श्रेय खुद लेने का प्रयास न करें। गुरु को नि:स्वार्थ भाव से मार्गदर्शन करना चाहिए।
लोगों के दोष नहीं गुण देखें
जीवन दर्शन: पूतना अपने स्तनों में विष लगाकर श्रीकृष्ण को मारने आई थी। उन्होंने यह अवगुण देखने के बजाय यह देखा कि वह मां की तरह स्तनपान करवाने आई है। इसके बाद उन्होंने उसे आसुरी जीवन से मुक्त कर दिया।
सीख: हर किसी में कुछ कमियां और कुछ खूबियां होती हैं। कमियां देखने के बजाय खूबियों को तरजीह देकर उसे प्रेरित करना चाहिए।
महिलाओं का सम्मान करें
जीवन दर्शन: द्रौपदी के चीरहरण के समय कोई भी उनके सम्मान की रक्षा के लिए आगे नहीं आया। तब श्रीकृष्ण ने उनकी लाज रखी।
सीख: महिलाओं का सदैव सम्मान करना चाहिए। चाहे परिचित हों या न हों, लेकिन एक महिला के तौर पर उसका सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए।
हमेशा खुद को शांत रखें
जीवन दर्शन: श्रीकृष्ण की बुआ के पुत्र शिशुपाल ने उनका 100 बार अपमान किया, लेकिन उन्होंने बुआ को दिए वचन के कारण शांति से सहन किया। दुर्योधन ने भी अपमान किया, लेकिन वह सह गए।
सीख: वचन हमेशा निभाना चाहिए और खुद को शांत रखना चाहिए। कई बार लोग क्रोध में आपका अपमान कर जाते हैं, लेकिन शांत रहकर प्रतिक्रिया न दें।
दूसरों की पीड़ा महसूस करें
जीवन दर्शन: राक्षस नरकासुर 16 हजार महिलाओं को कैद कर अत्याचार करता था। श्रीकृष्ण ने उन्हें मुक्त करवाया। महिलाओं के घरवालों ने उन्हें नहीं अपनाया तो श्रीकृष्ण ने सभी को पत्नी का दर्जा दिया।
सीख: दूसरों की पीड़ा भी समझना चाहिए और मानवता को सर्वोपरि रखना चाहिए।