IAS Success Story : देश की सबसे खूबसूरत अफसर, 23 साल की उम्र में आईएएस बनीं स्मिता सभरवाल, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जानिए स्मिता सभरवाल की सफलता की कहानी
देश के विभिन्न आईएएस ऑफिसर अपने खास कामों के लिए जाने जाते हैं। आईएएस स्मिता सभरवाल अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उनके नाम पर कई ऐसे रिकॉर्ड दर्ज हैं, जिन्हें तोड़ पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।
स्मिता सभरवाल का जन्म 19 जून 1977 को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुआ था। उनके पिता रिटायर्ड सेना अधिकारी कर्नल प्रणब दास हैं। उनकी मां का नाम पुरबी दास है। पिता की आर्मी जॉब होने की वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं। रिटायरमेंट के बाद वे हैदराबाद में सेटल हो गए। स्मिता की स्कूलिंग वहीं हुई है। वे 12वीं में ISC टॉपर थीं। फिर उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी।
जिस लेडी ऑफिसर की हम यहां बात करेंगे उन्हें पीपल्स ऑफिसर कहा जाता है। ये महज 23 साल की उम्र में IAS बन गई थीं। इनका नाम है स्मिता सभरवाल। स्मिता सभरवाल ने एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपने अनुकरणीय कार्य से कई प्रशंसाएं अर्जित की हैं।
वह पूरे देश में आईएएस उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा हैं। स्मित 2000 बैच की आईएएस टॉपर हैं। उन्होंने चौथी रैंक हासिल की थी।
स्मिता सभरवाल अपने पहले अटेंप्ट में प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत के साथ तैयारी की। साल 2000 में अपने दूसरे प्रयास में वे यूपीएससी परीक्षा पास करने वाली सबसे कम उम्र की स्टूडेंट बनीं। इसमें उन्होंने ऑल इंडिया लेवल पर 4th रैंक हासिल की थी।
स्मिता सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी कर्नल पीके दास और पूरबी दास की बेटी हैं। मूल रूप से दार्जिलिंग की रहने वाली स्मिता ने नौवीं कक्षा से हैदराबाद में पढ़ाई की। उन्होंने अपनी 12वीं सेंट एन्स, मेरेडपल्ली, हैदराबाद से पूरी की। उन्होंने अपनी बारहवीं कक्षा (आईसीएसई बोर्ड) में प्रथम स्थान हासिल किया था।
इसके बाद उन्होंने सैंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर वुमेन से बीकॉम किया। स्मित आईएएस एग्जाम के पहले प्रयास में नाकाम रही थीं। 2000 में उन्होंने दूसरी बार एग्जाम दिया। इस बार उन्होंने ना सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि चौथी रैंक भी हासिल की।स्मिता ने इसके बाद तेलंगाना कैडर के आईएएस की ट्रेनिंग ली। वह चितूर में सब-कलेक्टर रहीं। इसके अलावा वह कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर,वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं।
स्मिता की तैनाती जहां-जहां हुई, लोगों के दिल में उन्होंने अपनी जगह बना ली। उनकी इमेज जनता की अधिकारी वाली बन गई है। अपने कार्यकाल के दौरान स्मिता कई बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां संभाली हैं। उन्हें तेलंगाना राज्य में किए गए कई सारे सुधारों के लिए जाना जाता है।