आईआईटी रुड़की के अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र ने स्थिरता के लिए अंतरिक्ष पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया
रुड़की । आईआईटी रुड़की में अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) ने 4-7 मार्च, 2025 तक दो प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों- स्थिरता के लिए अंतरिक्ष: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा एवं नीति (एस²-एसटीईपी 2025) और 6वें भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन (आईपीएससी -2025) की सफलतापूर्वक मेजबानी की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (आईएए), एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) एवं भारतीय ग्रह विज्ञान संघ (आईपीएसए) के सहयोग से आयोजित इन कार्यक्रमों ने स्थायी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, ग्रहों की खोज और शिक्षा-उद्योग सहयोग पर चर्चा के लिए एक उच्च प्रभाव वाला मंच प्रदान किया।
नवाचार एवं नीति के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना
सम्मेलन के दूसरे दिन, 5 मार्च, 2025 को “भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप और उद्योग” शीर्षक से इंटरैक्टिव ओपन सत्र का उद्घाटन किया गया, जो भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के भीतर स्टार्टअप, उद्योग एवं शिक्षा के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगा।
इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विनोद कुमार, निदेशक (पीडी), इन-स्पेस, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार उपस्थित थे। श्री प्रतीक जैन, आईएएस, प्रबंध निदेशक, सिडकुल, उत्तराखंड, एवं डॉ. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूसीओएसटी, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने की।
“शिक्षा, कौशल एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से एक मजबूत अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का विकास” विषय पर एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और नीति के कुछ सबसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञ एक साथ आए। चर्चा में एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया (सेवानिवृत्त), उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर के अध्यक्ष; प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना, अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी और बीआईटी मेसरा के कुलपति; श्री अर्जुन गोयल, निदेशक-तकनीकी, सरस्वती डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड; प्रोफेसर (डॉ.) सुहास देशमुख, निदेशक, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद; और प्रोफेसर इंद्रदीप सिंह, डीन-इंफ्रास्ट्रक्चर, आईआईटी रुड़की शामिल थे। सत्र का संचालन डॉ. विनोद कुमार, निदेशक (पीडी), इन-स्पेस ने किया।
चर्चा में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक प्रमुख रणनीतिक नीतिगत हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला गया। पैनलिस्टों ने अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास में शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका, कौशल विकास के लिए एक संरचित दृष्टिकोण की आवश्यकता और उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। इन क्षेत्रों को संबोधित करके, भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम एक अधिक लचीला व नवाचार-संचालित अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकता है।
इस सम्मेलन में इसरो प्रयोगशालाओं, शैक्षणिक संस्थानों एवं अंतरिक्ष उद्योग के अग्रणी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं व उद्यमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। एक प्रमुख आकर्षण “भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप की यात्रा और उनका आगे का रोडमैप” शीर्षक वाला एक इंटरैक्टिव सत्र था, जिसे इन-स्पेस के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस सत्र ने अंतरिक्ष स्टार्टअप और उभरते उद्योग के नेताओं को भारत की बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
इस कार्यक्रम में 20 से अधिक स्टार्टअप्स ने भाग लिया, जिनमें अग्निकुल, जो छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों में विशेषज्ञता रखती है; ध्रुव स्पेस, जो उपग्रह प्रौद्योगिकी समाधानों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है; दिगंतरा, जो अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता और कक्षीय मलबे की ट्रैकिंग पर काम करती है; मनस्तु स्पेस, जो उपग्रहों के लिए टिकाऊ प्रणोदन प्रणाली विकसित करने वाली कंपनी है; और सैटश्योर, जो भू – अवलोकन और भू-स्थानिक विश्लेषण में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती है।
इस कार्यक्रम में केनसैट, मॉडल रॉकेट्री एवं पोयम टीमों द्वारा तकनीकी प्रदर्शन भी किए गए, जिससे उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक अंतरिक्ष अनुसंधान एवं छात्र-नेतृत्व वाले नवाचारों के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिली। इन प्रदर्शनों ने भारत के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र को आगे बढ़ाने में युवा नवोन्मेषकों और अनुसंधान-संचालित परियोजनाओं की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला। इस सत्र के दौरान हुई चर्चाओं और सहभागिताओं ने भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप की सफलता को आगे बढ़ाने और उद्योग में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निवेश, नीति समर्थन और सहयोग की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया।
आईआईटी रुड़की के अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) के प्रमुख प्रोफेसर संजय उपाध्याय ने संस्थान के भविष्य के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आईआईटी रुड़की, सीएसएसटी के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने एवं उभरती अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में एक कदम के रूप में, हम उत्तराखंड में एक अंतरिक्ष अनुसंधान पार्क स्थापित करना चाहते हैं, जो अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास, उद्योग-अकादमिक सहयोग एवं क्षमता निर्माण के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा। इसरो, इन-स्पेस, उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार के समर्थन और मार्गदर्शन से, यह पहल नवाचार को बढ़ावा देगी, अनुसंधान साझेदारी को सुविधाजनक बनाएगी और अंतरिक्ष स्टार्टअप का पोषण करेगी। यह अंतरिक्ष अनुसंधान पार्क उत्तराखंड के बढ़ते प्रौद्योगिकी परिदृश्य में योगदान करने की क्षमता रखेगा, साथ ही भारत को स्थायी अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा।”
एस²-स्टेप2025 एवं आईपीएससी-2025 सम्मेलन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति एवं आत्मनिर्भर भारत के लिए भारत सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। आईआईटी रुड़की अपने अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) के माध्यम से ग्रह अनुसंधान, एआई-संचालित अंतरिक्ष समाधान एवं स्थिरता-केंद्रित अंतरिक्ष मिशनों में सीमाओं को आगे बढ़ाता रहता है। ये चर्चाएँ नए युग की नीतियों, तकनीकी प्रगति और अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़े हुए वैश्विक सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस बात पर जोर दिया कि, “आईआईटी रुड़की नवाचार, उद्योग साझेदारी एवं अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देकर भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस सम्मेलन का विषय है स्थिरता के लिए अंतरिक्ष, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन, संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया जैसी वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करना है। इस सम्मेलन से प्राप्त अंतर्दृष्टि स्थायी अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य को आकार देने और इस क्षेत्र में भारत के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”
सम्मेलन में हुई चर्चाओं ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को आकार देने में सरकारी पहलों, संस्थागत अनुसंधान और उद्योग भागीदारी के महत्व को पुष्ट किया। इन-स्पेस, राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति एवं आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी, उन्नत अनुसंधान एवं कौशल विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान अपने अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) के माध्यम से उभरते अंतरिक्ष क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने, प्रतिभा को पोषित करने और सहयोगी अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्योग के नेता और स्टार्टअप तकनीकी प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं, जबकि नीति निर्माता सतत विकास के लिए सही रूपरेखा सुनिश्चित कर रहे हैं।
सरकारी एजेंसियों, शिक्षाविदों और उद्योग हितधारकों के सामूहिक प्रयास भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण और संधारणीय अंतरिक्ष प्रथाओं में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे। सम्मेलन से प्राप्त अंतर्दृष्टि भविष्य के सहयोग, अभूतपूर्व अनुसंधान एवं एक आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के निरंतर विकास के लिए आधार के रूप में कार्य करेगी।