उत्तराखंड में मत प्रतिशत के बड़े अंतर को पाट पाना कांग्रेस के लिए चुनौती, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही मत प्रतिशत में पिछड़ रही है कांग्रेस
देहरादून। उत्तराखंड में पिछले 5 सालों से भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को मत प्रतिशत में लगातार पिछड़ रही है। इस बीच चाहे निकाय चुनाव हुए हो या लोकसभा के चुनाव भाजपा ने सभी में अधिक मत प्रतिशत प्राप्त किए हैं। अब देखना यह है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा और कांग्रेस के बीच मत प्रतिशत चले आ रहे बड़े अंतर को पाट सकेंगे या नहीं।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोटों के बीच 13 प्रतिशत का अंतर था। दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन और आगे निकल गया। कुल मतों में साठ प्रतिशत उसकी झोली में पहुंचे। जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड बनने के बाद पहले तीन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मत प्रतिशत को लेकर अधिकतम दो प्रतिशत का अंतर रहा। 2002 के पहले आम चुनाव में भाजपा को 25.45 और कांग्रेस को 26.91 प्रतिशत मत मिले। सरकार कांग्रेस की बनी। 2007 में भाजपा को 31.90 और कांग्रेस को 29.59 प्रतिशत मत मिले। बाजी भाजपा के हाथ लगी। वहीं, 2012 के चुनाव परिणाम ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस को सत्ता सौंप दी। तब कांग्रेस को 33.79 और भाजपा को 33.13 प्रतिशत मत मिले थे। यानी तीन चुनाव में एक से दो प्रतिशत के मामूली अंतर ने सरकारें बदल दी।
लेकिन 2017 के चुनाव में मोदी लहर ऐसी चली कि पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त हो गए। भाजपा को 46.50 और कांग्रेस को मात्र 33.50 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा था। नतीजन 70 में से 57 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई। ऐसे में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बहुत ही अधिक प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए बगावत को थामने के साथ पुरानी गुटबाजी पर भी अंकुश लगानी होगी। यदि कोई संभावना बनती है तो सीएम कौन होगा। इस ओर ध्यान बांटने के बजाय पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने पर जोर देना होगा। क्योंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव ने तो कांग्रेस को एक तरह से रसातल में पहुंचा दिया था। में कांग्रेस के सभी पांचों प्रत्याशी चुनाव हारे थे इसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल से बहुत अधिक वोटों से मात खा गए थे।
2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम उत्तराखंड कांग्रेस के सभी नेताओं के लिए बेहद चौंकाने वाले रहे। प्रदेश में लोकसभा की पांच सीटें हैं। कांग्रेस का हर उम्मीदवार दो लाख से अधिक वोटों से हारा था। नैनीताल-लोकसभा सीट कांग्रेस ने 3,39, 096, हरिद्वार सीट 2, 58, 729, पौड़ी 3,02, 669, टिहरी 3,00,586 और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट 2,32,986 मतों के अंतर से गंवाई थी। लोकसभा चुनाव में 60.7 प्रतिशत मत अकेले भाजपा को मिले थे।
चुनाव प्रचार में भी काफी पीछे
चुनाव प्रचार पर गौर किया जाए तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का चुनाव प्रचार काफी व्यवस्थित ढंग से चल रहा है । जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले गढ़वाल और कुमाऊं में एक-एक सभा कर चुके हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी दौरे हो चुके हैं और आगे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे दिग्गज नेताओं के कार्यक्रम तय है । भाजपा के पांचों सांसद अपने-अपने क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस में अभी तक किसी भी बड़े नेता की सभा तय नहीं हो सकी है।यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत टिकट वितरण के दौरान उलट-पुलट पड़े मोहरों को ठीक करने में उलझे हुए हैं।