उत्तराखंड में कांग्रेस सामूहिक चेहरे पर लड़ेगी चुनाव: देवेंद्र यादव, हरीश रावत के नाम पर शुरू हुई उठापटक थामने के लिए प्रदेश प्रभारी को देना पड़ा बयान

देहरादून । सीएम चेहरे को लेकर उत्पन्न विवाद पर विराम लगाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को खुद आगे आना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि केंद्रीय हाईकमान ने उत्तराखंड में अभी वर्ष 2022 के चुनाव को लेकर कोई सीएम चेहरा घोषित नहीं किया है। अलबत्ता सामूहिक चेहरे पर ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। उत्तराखंड कांग्रेस में विभिन्न ओहदों पर सूची जारी होने के बाद चेहरे पर उठापटक शुरू हो गई। पार्टी का एक गुट जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव में जाने की बात कह रहा है, वहीं दूसरा गुट इसका डटकर विरोध कर रहा है। इन सबके बीच पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने साफ किया है कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और सत्ता में आने पर विधायक दल ही अपने नेता का चुनाव करेगा। हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी का एक गुट लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि हरीश रावत ही पार्टी का सीएम का चेहरा हैं। पार्टी उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। एक दिन पहले नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के इस मामले में अलग-अलग बयान सामने आए।प्रीतम सिंह पहले दिन से ही कह रहे हैं कि सामूहिक चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा लेकिन हरीश रावत के कुछ समर्थकों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि चुनाव हरीश रावत के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। विवाद इतना बढ़ा की पार्टी हाईकमान को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
कांग्रेस मुख्यालय में भी इस बात को लेकर चर्चाओं का दौर जारी रहा। इस पर पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने खुद आगे आकर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कि हरीश रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उनके चेहरे को आगे रखकर पार्टी चुनाव में जाएगी, ऐसा बयान किसी ने जारी नहीं किया है।
देवेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में एकजुट होकर ही लड़ा जाएगा। सत्ता में आने पर चुने गए विधायक और पार्टी आलाकमान इस मुद्दे पर फैसला लेंगे। प्रदेश प्रभारी के इस बयान के बाद कांग्रेस मैं 9 दिन से चल रही उठापटक थोड़ा शांत हो सकी। वही हालात को समझते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हैं। यह बात उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में स्पष्ट की है। उन्होंने लिखा है कि राज्य में केवल अध्यक्ष पद पर चेहरा बदला है, नेतृत्व आज भी वही पुराना है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को सीख देते हुए उन्होंने लिखा है कि अपने पोस्टरों में, अपने व्यवहार में, सभी नेताओं को महत्व दें। नेतृत्व एक दिन में ही नहीं बनता है, पोस्टरों की राजनीति से न कोई बनता है, न बिगड़ता है, हां पार्टी का वातावरण जरूर बिगड़ जाता है।वहीं राजनीति विश्लेषकों का का कहना है कि हरीश रावत इस बात को समझ गए हैं कि यदि वह या उनके समर्थक उन्हें ज्यादा हाईलाइट कर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि हरीश रावत के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा तो निश्चित रूप से दूसरा खेमा चुनावी खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इसीलिए उन्होंने अपने आप को संभालने की कोशिश की।

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