कथा के पंचम दिवस पर कथाव्यास गुरुदेव रमेश सेमवाल ने माता-पिता का महत्व बताया, कहा-माता पिता की पूजा करके पृथ्वी परिक्रमा जनित फल प्राप्त होता है
रुड़की । पुरानी तहसील स्थित ज्योतिष गुरुकुलम् में शिव महापुराण कथा के पंचम दिवस पर कथाव्यास आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने कहा कि माता-पिता की पूजा करके पृथ्वी परिक्रमा जनित फल प्राप्त होता है।कथा में गणेश जी के विवाह का प्रसंग सुनिते हुए कहा कि भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश व कार्तिकए से कहा कि तुम दोनों में से जो पृथ्वी की परिक्रमा कर पहले वापस आजाएगा,उसका विवाह पहले करेंगे। कार्तिकेय ने परिक्रमा करने के लिए शीघ्र प्रस्थान किया,परंतु गणेश जी ने भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा की और कहा माता-पिता ही उनकी दुनिया है और उनके लिए पृथ्वी की परिक्रमा उनके लिए पूरी हो गई।कई शास्त्रों में ये वर्णन है कि जो पुत्र अपने माता-पिता की परिक्रमा कर लेगा उसको पृथ्वी परिक्रमा जनित फल प्राप्त होगा,जो पुत्र अपने माता-पिता को छोड़ कर तीर्थ यात्रा करता है। उन्हें कष्ट देता है वह पाप का भागी हो जाता है।भगवान शिव उन भक्तों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं,जो अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं।परिक्रमा के पश्चात गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि नामक कन्या से हो गया था।कलयुग में भक्तों को भगवान की अराधना के साथ-साथ अपने माता-पिता का सम्मान भी करना चाहिए।कथा में समाजसेविका श्रीमती रश्मि चौधरी,आदित्य शर्मा,अदिती सेमवाल,संजीव शास्त्री,प्रकाश शास्त्री,इमरान देशभक्त मीडिया प्रभारी,रेनू सैनी,सुलक्ष्ण सेमवाल, गौरव वर्मा,राधा भटनागर व चित्रा गोयल आदि मौजूद रहे।