भोपाल में घुस राजपूतों ने शिवराज को ललकारा, 2023 चुनाव की तैयारी कर रही भाजपा के लिए खतरा

भोपाल । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अक्टूबर में चुनाव और नंवबर में नई सरकार शपथ ले लेगी। इससे पहले करणी सेना ने सत्ता पर काबिज शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। करणी सेना के एक गुट ने जातिगत आरक्षण खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण समेत 21 सूत्रीय मांग को लेकर भोपाल में हुंकार भरी है। इसके साथ ही सरकार के क्षत्रिय समागम कर आंदोलन के रोकने के प्रयास भी विफल साबित हो गए। 2018 के चुनाव में ऐट्रोसिटी एक्ट में संशोधन और सर्वणों के आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रभाव पड़ा था, जिससे बीजेपी को ग्वालियर-चंबल अंचल में नुकसान हुआ। अब फिर चुनाव से पहले करणी सेना के आंदोलन ने बीजेपी की 2023 में मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

ऐट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में दलित वर्ग के आंदोलन के खिलाफ सवर्ण उतर आए थे। इसके साथ ही उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग रख दी थी। 2016 के आंदोलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस समय बयान दिया था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। इसके बाद बीजेपी को 2018 में नुकसान हुआ था। हालांकि इसके पीछे कई कारण गिनाए गए, लेकिन पार्टी नेताओं ने सवर्णों की नाराजगी के कारण कई सीटों पर हार होना स्वीकार किया था।

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी को अनुसूचित जनजाति की सीटों पर बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था। इसके बाद बीजेपी लगातार अनुसूचित जनजाति वोटरों को अपने पक्ष में करने में जुटी हुई है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल-जबलपुर में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं, प्रदेश सरकार ने उनके लिए कई योजनाएं लॉन्च की है। दूसरी तरफ ओबीसी वर्ग को भी अपने साथ रखने के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देने का दांव चला है।

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