वर्ष 2015 सीधी भर्ती के उप निरीक्षकों ने मनाएं सेवा के 10 वर्ष, प्रदेश की कानून व्यवस्था कायम करने में उप निरीक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका

हरिद्वार । वर्ष 2015 में सीधी भर्ती के नियुक्त हुए उपनिरीक्षकों ने अपने दस वर्ष पूरे होने पर आपसी एकजुटता और आत्ममंथन के साथ सेवा जयंती समारोह मनाया। यह आयोजन न किसी औपचारिक मंच का हिस्सा था, न ही किसी उच्चाधिकारी के भाषणों का। यह एक सहज, आत्मीय और स्मृतियों से भरा आयोजन था, जो सिर्फ साथियों के लिए था और साथियों के द्वारा ही आयोजित किया गया था।

2015 बैच के इन उपनिरीक्षकों ने अपनी ड्यूटी की शुरुआत उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में की थी। कोई पर्वतीय क्षेत्र में तैनात रहा, तो कोई सीमावर्ती इलाकों में कानून-व्यवस्था संभालता रहा। इन दस वर्षों में उन्होंने न केवल पुलिसिंग के कठिन पहलुओं को सीखा, बल्कि एक-दूसरे के साथ खड़े रहकर सहयोग और भाईचारे की मिसाल भी कायम की।

समारोह के दौरान कई SI साथियों ने उन कठिन परिस्थितियों को याद किया जब सीमित संसाधनों में, कभी विपरीत मौसम में तो कभी सामाजिक तनाव के बीच भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई। ट्रेनिंग से लेकर पहली पोस्टिंग और फिर कोरोना काल, कांवड़ यात्रा, पंचायत चुनाव जैसी अहम जिम्मेदारियों तक, सभी को याद करते हुए चेहरे गर्व से चमक उठे।

2015 बैच के उपनिरीक्षक आज कई जिलों में थाने, चौकियों और विशेष शाखाओं में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुछ अब निरीक्षक बनने की ओर अग्रसर हैं, तो कुछ ने अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय पहचान बनाई है। इस आयोजन ने साबित किया कि भले ही उनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगह हो, लेकिन दिलों में एकता और टीम भावना आज भी जीवित है।

बैच के सदस्यों ने एक-दूसरे के साथ बिताए पलों को साझा किया, हास-परिहास में खोए और भविष्य की चुनौतियों के लिए प्रेरणा भी ली। यह कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक ऐसा क्षण था जब पुलिस की वर्दी के पीछे का इंसान खुलकर हंसा, बोला और साथीपन की भावना से जुड़ा।

बैच के सदस्यों ने इस अवसर पर एक साझा विचार भी रखा – कि आने वाला समय और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन जिस तरह पिछले दस वर्षों में साथ निभाया, उसी तरह आगे भी एक-दूसरे का संबल बनकर समाज की सेवा करते रहेंगे।

कार्यक्रम का समापन एक साधारण भोजन और ग्रुप फोटोग्राफ के साथ हुआ, जिसमें हर चेहरा संतोष और आत्मगौरव से भरा था। यह आयोजन भले ही किसी सरकारी कैलेंडर का हिस्सा न रहा हो, लेकिन पुलिस विभाग के भीतर इंसानी रिश्तों और टीम भावना का एक सुंदर उदाहरण बनकर उभरा।

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