वैश्वीकरण के युग मे शिक्षक को और अधिक उत्तरदाई होना चाहिए, नई तकनीकी उसे उच्च शिक्षा के परिणाम अत्यधिक लाभकारी
रुड़की। कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रूड़की (कोर ) में तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारम्भ आज आगामी सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारम्भ किया गया। जिसके मुख्य अतिथि आईआईटी रूड़की के निदेशक डॉ ए के चतुर्वेदी रहे। यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रूड़की के चांसलर एवं कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रुड़की कोर के अध्यक्ष जैसी जैन एवं कार्यकारी निदेशक श्रीमती चारू जैन ने बतौर विशिष्ट अतिथि भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के दीप प्रज्वलन के साथ हुआ । कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रीमती चारू जैन ने अपने भाषण में सभी अतिथियों शिक्षक गणों एवं मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने कहा आज शिक्षा का युग बदल रहा है परंपरागत प्रणालियां धूमिल हो रही है एवं नई तकनीकी से उच्च शिक्षा के परिणाम अत्यधिक लाभकारी रहे हैं । उन्होंने बताया कि आज के वैश्वीकरण के युग मे शिक्षक को और अधिक उत्तरदाई होना चाहिए क्योंकि शिक्षा सैद्धांतिक प्रणालियों से व्यवहारिक प्रणालियों की तरफ स्थानांतरित हो रही है ।कॉलेज के निदेशक डॉ बी एम सिंह ने कॉलेज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया की 1998 से अभी तक का सफर इस संस्था ने कितनी उपलब्धियों के साथ तय किया एवं आगामी वर्षों के लिए क्या-क्या नियोजन किए जा रहे हैं।यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रूड़की के चांसलर एवं कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रुड़की कोर के अध्यक्ष श्री जै सी जैन ने शिक्षा एवं शिक्षक के महत्व को विस्तार से बताया उन्होंने कहा शिक्षक ही एक सभी एवं सदर समाज की संरचना कर सकता है। इसीलिए विश्व मे शिक्षक का स्थान सर्वोपरि है, विश्व के हम किसी भी देश का उदाहरण ले तो उसके विकास में शिक्षा एवं शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान रहा है आज हमारा देश भी उसी पथ पर है। आज भी शिक्षक का वही स्थान है जो प्राचीन समय में होता था। मुख्य अतिथि डॉ चतुर्वेदी ने संस्था की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए एक आदर्श शिक्षक के गुणों को विस्तार से बताया, साथ ही उन्होंने अपने अनुभव को साझा किया , उन्होंने बताया आज छात्र के पास बहुत सारे संसाधन है किताबें हैं इंटरनेट है वीडियो लेक्चर है परंतु यह सभी एक शिक्षक का प्रतिस्थापन कभी नहीं हो सकते इन सब संसार संसाधनों की अपनी सीमाएं हैं परंतु शिक्षक विभिन्न विधियों से छात्रों को कांसेप्ट स्पष्ट करता है, उन्होंने बताया कि एक छात्र से अच्छा कोई गुरु नहीं हो सकता क्योंकि छात्रों के द्वारा किए गए प्रश्न एक शिक्षक के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं इसलिए हमें अपने छात्रों को जिज्ञासु बनाना चाहिए एवं उन्हें प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह पूछे गए प्रश्न छात्रों एवं शिक्षक दोनों के विकास में योगदान देते हैं। यह कार्यक्रम निदेशक डॉ बी एम सिंह के नेतृत्व में आयोजित हुआ इसके सफल आयोजन में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मृदुला सिंह एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रश्मि गुप्ता डीन डॉ सागर गुलाटी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रोहित कनौजिया, श्रीमती छवि कृष्णा, अनुराग सिंह, डॉ सुशील जिंदल, मयंक देव आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई I