आदर्श चुनाव आचार संहिता क्या होती है? 5 राज्यों में आज से लागू, आचार संहिता है राजनैतिक दलों की सहमति से बनाए गए नियमों का समूह
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। भारत निर्वाचन आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इस दौरान सरकारी मशीनरी एक तरह से चुनाव आयोग के नियंत्रण में रहेगी। मतदान और मतगणना के बाद नतीजों की आधिकारिक घोषणा के साथ ही आचार संहिता हट जाती है। आदर्श चुनाव आचार संहिता क्या है और इसके क्या नियम-कायदे हैं, आइए सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
आदर्श आचार संहिता क्या है?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।
आचार संहिता कब से लागू होती है?
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। देश में लोकसभा के चुनाव हर पांच साल पर होते हैं। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते रहते हैं। चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रमों का एलान करते ही आचार संहिता लागू हो जाती है।
आचार संहिता कब तक लगी रहेगी?
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।
आचार संहिता के मुख्य नियम क्या हैं?
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता।
सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा।
सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा।
किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।
आदर्श आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
आदर्श आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यथियों और सत्ताधारी दलों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए अर्थात् निर्वाचन प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्यादि के दौरान उनका सामान्य आचरण कैसा होगा।
क्या मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को निर्वाचन प्रचार के साथ मिला सकते हैं?
नहीं।
क्या सरकारी वाहन को निर्वाचन प्रचार संबंधी कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है?
विमान, वाहनों इत्यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या अभ्यर्थी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।
क्या सरकार निर्वाचन कार्य से संबंधित पदाधिकारियों का स्थानांतरण और तैनाती कर सकती है?
निर्वाचन के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो आयोग की पूर्व-अनुमति ली जाएगी।
यदि निर्वाचन कार्य से संबंधित किसी अधिकारी का आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार द्वारा स्थानांतरण कर दिया जाता है और उसने नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है तो क्या ऐसा अधिकारी आचार संहिता की घोषणा के बाद नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण कर सकता है?
नहीं। यथापूर्णस्थिति बनाए रखी जाएगी।
क्या कोई केंद्रीय मंत्री या राज्य सरकार का मंत्री निर्वाचनों की अवधि के दौरान किसी आधिकारिक चर्चा के लिए किसी राज्य या निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन संबंधी अधिकारी को बुला सकता है?
कोई भी केंद्रीय या राज्य सरकार का मंत्री कहीं भी किसी आधिकारिक चर्चा हेतु राज्य या निर्वाचन क्षेत्र के किसी निर्वाचन संबंधी अधिकारी को नहीं बुला सकता है।
इसका एकमात्र अपवाद तभी होगा जब कोई मंत्री संबंधित विभाग के प्रभारी होने के नाते या कोई मुख्यमंत्री कानून एवं व्यवस्था के असफल हो जाने या प्राकृतिक आपदा या किसी आपातकाल में ऐसे किसी निर्वाचन क्षेत्र का आधिकारिक दौरा करते हैं जिसमें अधीक्षण, मदद, राहत और इसी प्रकार के विशेष प्रयोजनार्थ ऐसे मंत्री/मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत उपस्थिति अपेक्षित होती है।
यदि कोई केंद्रीय मंत्री पूर्णत: आधिकारिक कार्य से दिल्ली से बाहर दौरा कर रहे हैं, जिसे लोकहित मे टाला नहीं जा सकता है तो उस मंत्रालय/ विभाग के संबंधित सचिव से इस आशय को प्रमाणित करने वाला एक पत्र संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को भेजने के साथ उसकी एक प्रति निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी।
क्या कोई पदाधिकारी मंत्री से उनके निजी दौरे के दौरान उस निर्वाचन क्षेत्र में मिल सकते हैं जहां निर्वाचन हो रहे हैं।
कोई पदाधिकारी जो मंत्री से निर्वाचन क्षेत्र में उनके निजी दौरे के दौरान मिलते हैं, संगत सेवा नियमों के अधीन कदाचार के दोषी होंगे और यदि वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 129(1) में उल्लिखित पदाधिकारी हैं तो उन्हें उस धारा के सांविधिक उपबंधों का उल्लंघन करने का अतिरिक्त दोषी माना जाएगा और वे उसके अधीन उपबंधित दांडिक कार्रवाई के भागी होंगे।
क्या निर्वाचनों के दौरान मंत्री आधिकारिक वाहन के हकदार होंगे?
मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा बशर्ते इस प्रकार के सफर को किसी निर्वाचन प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।
क्या मंत्री या कोई अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन सहित बीकन प्रकाश वाली पायलट कार का प्रयोग कर सकते हैं?
मंत्री या किसी अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता को निर्वाचन अवधि के दौरान निजी या आधिकारिक दौरे पर किसी पायलट कार या किसी रंग की बीकन लाइट अथवा किसी भी प्रकार के सायरन सहित कार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं होगी भले ही राज्य प्रशासन ने उसे सुरक्षा कवर दिया हो जिसमें ऐसे दौरों पर उसके साथ सशस्त्र अंगरक्षकों के उपस्थित रहने की आवश्यकता हो। यह निषेध सरकारी व निजी स्वामित्व वाले दोनों प्रकार के वाहनों पर लागू होगा।
क्या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निवास स्थान पर “इफ्तार पार्टी” या ऐसी ही कोई अन्य पार्टी आयोजित की जा सकती है जिसका खर्चा सरकारी कोष से किया जाएगा।
नहीं। तथापि, कोई भी व्यक्ति अपनी निजी क्षमता और अपने निजी निवास स्थान पर ऐसी पार्टी का आयोजन करने के लिए स्वतंत्र है।
क्या सत्ताधारी पार्टी की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धियों के संबंध में सरकारी कोष की लागत पर विज्ञापन जारी करने पर कोई प्रतिबंध है ?
हां। निर्वाचन अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी कोष की लागत पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क मीडिया के दुरूपयोग पर निषेध है।
क्या केंद्र में सत्ताधारी पार्टी/राज्य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग/विज्ञापनों को राजकोष की लागत पर जारी रखा जा सकता है?
नहीं। प्रदर्शित किए गए इस प्रकार के सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरन्त हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा।
मान लीजिए किसी योजना या कार्यक्रम के संबंध में कार्य आदेश जारी किया गया है। क्या इसे निर्वाचन के बाद शुरू किया जा सकता है ?
निर्वाचनों की घोषणा से पूर्व जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में वास्तविक रूप से कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। परंतु यदि काम वास्तव में शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है।
सरकार आपातकालिक स्थिति या अप्रत्याशित आपदाओं से निपटने के लिए क्या करती है जबकि कल्याणकारी उपायों की घोषणा पर प्रतिबंध लगा होता है ?
आपातकालिक स्थिति या अप्रत्याशित आपदाओं यथा सूखे, बाढ़, महामारी, अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने अथवा वृद्धजनों तथा निशक्त इत्यादि हेतु कल्याणकारी उपाय करने के लिए सरकार आयोग का पूर्व अनुमोदन ले सकती है तथा सरकार को आडंबरपूर्ण समारोहों से पूरी तरह से बचना चाहिए और सरकार को ऐसी कोई भी परिस्थिति उत्पन्न करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए कि सरकार द्वारा ऐसे कल्याणकारी उपाय या सहायता या पुनर्वास कार्य किसी अंतर्निहित उद्देश्य से किए जा रहे हैं।
क्या शराब के ठेकों, तेंदु की पत्तियों और ऐसे अन्य मामलों के संबंध में निविदा नीलामी इत्यादि कार्रवाई की जा सकती है ?
जी नहीं, संबंधित क्षेत्र में निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक ऐसे मामलों पर कार्रवाई को आस्थगित किया जा सकता है और सरकार वहां अंतरिम व्यवस्था कर सकती है जहां यह अपरिहार्य रूप से आवश्यक हो।
क्या सरकारी स्वामित्व वाली बसों की बस टिकट के पिछली ओर राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित किया जा सकता है।
जी नहीं।
क्या गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जा सकता है ?
क्या पैम्फलेट, पोस्टर आदि की छपाई पर कोई प्रतिबंध है?
अभ्यर्थी किसी ऐसे निर्वाचन पैम्पलेट अथवा पोस्टर का मुद्रण अथवा प्रकाशन नहीं करेगा अथवा उसका मुद्रण अथवा प्रकाशन नहीं करवाएगा, जिस पर उसका चेहरा, नाम अथवा पते मुद्रित अथवा प्रकाशित नहीं होते हों।
क्या सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह के अन्य उपकरणों के माध्यम से जनता को किसी भी निर्वाचन सामग्री का प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध है?
अभ्यर्थी निर्वाचन के समापन के लिए तय किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान, सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या अन्य इसी तरह के उपकरण के माध्यम से जनता को किसी भी निर्वाचन सामग्री अथवा प्रचार को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं।
क्या पार्टी या अभ्यर्थी द्वारा अस्थायी कार्यालयों की स्थापना और संचालन के लिए शर्तें/दिशानिर्देश हैं?
ऐसे कार्यालय किसी भी अतिक्रमण के माध्यम से सार्वजनिक या निजी संपत्ति/किसी भी धार्मिक स्थानों पर, अथवा ऐसे धार्मिक स्थानों के परिसर/किसी भी शैक्षणिक संस्थान/अस्पताल के समीप, किसी मौजूदा मतदान केंद्र के 200 मीटर के भीतर नहीं खोले जा सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे कार्यालय पार्टी का केवल एक झण्डा और बैनर को पार्टी प्रतीक/तस्वीरों के साथ प्रदर्शित कर सकते हैं, और ऐसे कार्यालयों में उपयोग किए जाने वाले बैनर का आकार इस अतिरिक्त शर्त के अध्यधीन 4 फीट X 8 फीट से अधिक नहीं होना चाहिए कि यदि स्थानीय विधियों द्वारा बैनर/होर्डिंग इत्यादि के लिए अधिक छोटे आकार का निर्धारण किया जाएगा तो स्थानीय विधि द्वारा निर्धारित छोटे आकार का इस्तेमाल किया जाएगा।
क्या जनसभा आयोजित करने या जुलूस निकालने पर कोई प्रतिबंध है?
किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए।
क्या लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने के लिए कोई समय-सीमा है?
रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
वह कौन सी अंतिम समय-सीमा है जिसके बाद कोई जनसभा और जुलूस नहीं निकाला जा सकता है?
जन सभाएं सुबह 6.00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, अभ्यर्थी मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते। मान लीजिए, मतदान का दिन 15 जुलाई है और मतदान का समय सुबह 8 बजे से शाम 5.00 बजे तक है, तो जन सभा और जुलूस 13 जुलाई को शाम 5.00 बजे से बंद हो जाएंगे।
क्या ओपिनियन पोल या एक्जिट पोल किसी भी समय आयोजित, प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित किए जा सकते हैं?
किसी भी तरह से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, या किसी अन्य मीडिया द्वारा किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एक्जिट पोल के परिणाम को प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा, जो निम्नलिखित अवधि के लिए मान्य होंगे:
एक ही चरण में आयोजित निर्वाचन में मतदान समापन के निर्धारित घंटे के साथ समाप्त हो रही 48 घंटों की अवधि के दौरान; तथा
एक बहु स्तरीय निर्वाचन में, और विभिन्न राज्यों में एक साथ निर्वाचनों की घोषणा के मामले में, निर्वाचन के प्रथम चरण के मतदान के लिए निर्धारित अवधि के आरंभ होने से 48 घंटे आरंभ होने की अवधि के दौरान और सभी राज्यों में सभी चरणों के मतदान समाप्त हो जाने तक।
क्या मतदान केंद्र में या उसके आस-पास प्रचार पर कोई प्रतिबंध है?
मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है।
क्या मतदान केंद्र या उसके पास सशस्त्र जाने पर कोई प्रतिबंध है?
मतदान के दिन मतदान केंद्र के आस-पास शस्त्र अधिनियम 1959 में परिभाषित किए गए किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है।
मतदान के दिन एक अभ्यर्थी कितने वाहनों के लिए हकदार है?
राज्य विधान सभा के निर्वाचन के लिए, अभ्यर्थी हकदार होगा:
अभ्यर्थी के स्वयं के उपयोग के लिए एक वाहन
अभ्यर्थी के निर्वाचन अभिकर्ता के उपयोग के लिए एक वाहन
इसके अलावा, अभ्यर्थी के कार्यकर्ताओं या पार्टी कार्यकर्ताओं के उपयोग के लिए एक वाहन।