आईआईटी रुड़की ने किया उत्तराखंड प्लास्टिक शिखर सम्मेलन का आयोजन, शिखर सम्मेलन पर्यावरण स्थिरता के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता के अनुरूप है

रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) ने 10 अक्टूबर, 2023 को एमएसी ऑडिटोरियम में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से उत्तराखंड प्लास्टिक शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन किया। इस अवसर पर सरकारी एवं औद्योगिक संघों के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। अदानी सीमेंट्स, सेंचुरी प्लाइवुड, वी-गार्ड इंडस्ट्रीज, एक्साइड इंडस्ट्रीज, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, असाई ग्लास इंडस्ट्रीज, एकम्स, ल्यूमिनस पावर टेक्नोलॉजीज, रोबोटिक्स ऑटोमेशन सॉल्यूशंस, एंकर इत्यादि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 250 से अधिक उद्योग प्रतिनिधियों ने इस आयोजन में भाग लिया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व नियम 2022 के बारे में जागरूकता प्रदान करना है जो अभी कार्यान्वयन के अधीन हैं। इस शासनादेश के तहत, उद्योगों को नवीन तकनीकों को विकसित करके उद्योगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग पर काम करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण के अनुकूल एवं स्वच्छ ऊर्जा समाधान विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध इस कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व छात्र भी उपस्थित थे। इस प्रकार, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत प्लास्टिक-सकारात्मक राष्ट्र बनने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इस कार्यक्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत, प्लास्टिक पैकेजिंग आर एंड डी सेंटर के महासचिव श्री मिहिर बनर्जी, जो सम्मानित मुख्य अतिथि थे, के साथ उपस्थित थे। इसके अलावा, श्री एस.के. पटनायक, सदस्य सचिव, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डॉ. अंकुर कंसल, सहायक पर्यावरण अधिकारी, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्री राजीव भास्कर, कोषाध्यक्ष भारतीय प्लास्टिक संस्थान (आईपीआई), दिल्ली, श्री अभिषेक राजवंश, संयुक्त निदेशक एवं प्रमुख सिपेट-सीएसटीएस, देहरादून, भगवानपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव श्री गौतम कपूर, सिडकुल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष श्री हरिंगर गर्ग, विभिन्न सरकारी एजेंसियों और उद्योगों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि भी आयोजन में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों, आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित आठ यूनिकॉर्न सहित स्टार्टअप, प्रदर्शकों, कर्मचारियों व एबीएन स्कूल और आईआईटी रूड़की के उत्साही छात्रों ने भी भाग लिया।

कार्यक्रम के दौरान निम्नलिखित प्रौद्योगिकियों पर विस्तार से चर्चा की गई, जिनमें एकल-उपयोग प्लास्टिक के लिए पर्यावरण-अनुकूल बायोडिग्रेडेबल विकल्प, प्लास्टिक एवं प्लास्टिसाइज़र बायोडिग्रेडेशन के लिए उच्च दक्षता वाले एंजाइम, मिश्रित प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण, प्लास्टिक कचरे को धन में परिवर्तित करना जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां शामिल हैं: प्लास्टिक कचरे से पेवर ब्लॉक बनाने जैसी पहल प्रगति पर है, जो यह प्रदर्शित करती है कि कैसे हम प्लास्टिक कचरे को मूल्यवान उत्पादों में बदल सकते हैं।

यह आयोजन आईआईटी रूड़की द्वारा उद्योगों के सामने आने वाली किसी भी समस्या के लिए तकनीकी समाधान प्रस्तावित करने की टेक सारथी योजना का परिणाम है। यह योजना रूड़की क्षेत्र के आसपास की औद्योगिक इकाइयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को विकसित करने में सहायता करने के लिए शुरू की गई थी।

महात्मा गाँधी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कि पृथ्वी के पास हमारी जरूरतों के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन हमारे लालच के लिए नहीं, आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा, “जैसा कि हम इस शिखर सम्मेलन में एक साथ आए हैं, मैं विनम्रतापूर्वक आप सभी से आज यह शपथ लेने का अनुरोध करता हूँ, कि आइए तीन ‘आर’ को अपनाने के लिए हम प्रतिबद्ध हों, अर्थात, (1)प्लास्टिक कचरे को कम करें, यानि रिड्यूस, (2)पुन: उपयोग करें, यानि रीयूस तथा (3)पुनर्चक्रण करें, अर्थात – रीसाइकल प्लास्टिक वेस्ट। ऐसा करके, हम खुद को उत्तराखंड प्लास्टिक शिखर सम्मेलन 2023 के दृष्टिकोण के साथ जोड़कर, प्लास्टिक-सकारात्मक वातावरण की प्राप्ति में सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं। मैं, आपके ध्यान एवं समर्पण के लिए आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्लास्टिक पैकेजिंग आर एंड डी सेंटर के महासचिव, श्री मिहिर बनर्जी ने कहा, “व्यक्तिगत स्तर पर, हम प्लास्टिक-सकारात्मक वातावरण बनाने के इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में छोटे लेकिन सार्थक कदम उठा सकते हैं। हमारे प्रयास केवल आईआईटी रूड़की, या इस राज्य, या हमारे देश, या यहाँ तक कि दुनिया के लिए नहीं हैं; वे हमारी भावी पीढ़ियों की भलाई के लिए हैं, जो एक ऐसे ग्रह को पाने के हकदार हैं जहां वे प्रकृति की सुंदरता को संजो सकें।”

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