नाम वापसी की तारीख से पहले बागी प्रत्याशियों को मनाने पर फोकस, टिकट न मिलने से शांत हुए नेता ज्यादा खतरनाक
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए नामांकन से पहले भाजपा-कांग्रेस के लिए बागियों को मनाना चुनौती बन गया था। अब दोनों ही पार्टियां नाम वापसी से पहले बागियों को मनाने में जुटी हैं, ताकि प्रत्याशियों को वोटों के लिहाज से कोई नुकसान न हो सके। भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत तमाम दिग्गजों को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम धामी के दखल के बाद कपकोट में भाजपा से बागी हुए शेर सिंह गड़िया ने नामांकन नहीं कराया।
कांग्रेस में बागियों को मनाने की कमान संभाले हरीश रावत अपनी ही सीट लालकुआं में संध्या डालाकोटी को नहीं मना सके। कुमाऊं मंडल में देखा जाए तो पिथौरागढ़ व चंपावत जिलों में भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के बागी शांत हो चुके हैं। हरिद्वार जिले में भी भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को अपनों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है।पिरान कलियर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मुनीश कुमार सैनी के खिलाफ वर्ष 2017 में इसी सीट से भाजपा के प्रत्याशी रहे जय भगवान सैनी ने नामांकन किया है। हालांकि संघ पृष्ठभूमि के जय भगवान सैनी के बारे में भाजपा नेताओं का मानना है कि उन्हें मना लिया जाएगा।रुड़की विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं विधायक प्रदीप बत्रा के खिलाफ नितिन शर्मा ने नामांकन किया है।रुड़की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी यशपाल राणा के विरोध में पार्टी के वरिष्ठ नेता हाजी तनवीर कुरेशी ने कांग्रेस छोड़कर बसपा से नामांकन किया है। ज्वालापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रवि बहादुर के खिलाफ इंजीनियर एसपी सिंह ने आजाद समाज पार्टी से और पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरिद्वार ब्रज रानी ने निर्दलीय नामांकन किया है।अन्य कई सीटों पर भी कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने नामांकन किए हैं।
वहीं रामनगर में भाजपा के बागी राकेश नैनवाल को मनाने में भाजपा नेता कामयाब हुए हैं।
साथ ही भाजपा नेता काशीपुर में विरोध का बिगुल फूंक चुकी मेयर उषा चौधरी व राम मल्होत्रा को मना चुके हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कपकोट में बागी हुए शेर सिंह गड़िया को मनाने हेलीकॉप्टर से जाना था। लेकिन मौसम खराब होने के कारण वह कपकोट नहीं पहुंच सके। हालांकि उनकी बातचीत का असर यह रहा कि शेर सिंह गड़िया ने निर्दलीय नामांकन नहीं कराया।
वहीं बागेश्वर में कांग्रेस के बागी बालकृष्ण व भैरव नाथ निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए हैं। अल्मोड़ा के द्वाराहाट में कैलाश भट्ट भाजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में हैं। वहीं द्वारा रानीखेत में भाजपा के बागी दीपक करगेती ने निर्दलीय नामांकन कराया है। ऊधमसिंह नगर जिले की सितारंगज सीट पर कांग्रेस छोड़कर नारायण पाल अब बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
रुद्रपुर से भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बाजपुर में कांग्रेस छोड़कर सुनीता बाजवा आप से चुनाव लड़ रही हैं। 31 जनवरी को नाम वापसी से पहले भाजपा-कांग्रेस बागियों को मनाने में कामयाब नहीं हुई तो दोनों पार्टियों को भारी नुकसान हो सकता है।
जिले में भीमताल सीट पर भाजपा के बागी मनोज साह व लाखन सिंह नेगी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। कालाढूंगी से भाजपा के बागी गजराज बिष्ट निर्दलीय व कांग्रेस की बागी मंजू तिवारी आप से चुनाव लड़ रही हैं। रामनगर में कांग्रेस के बागी संजय नेगी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। लालकुआं में भाजपा के बाजी पवन चौहान व कुंदन सिंह मेहता निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस की संध्या डालाकोटी चुनाव मैदान में डटी हुई हैं। नैनीताल में हेम आर्या भाजपा छोड़कर आप से चुनाव लड़ रहे हैं।
टिकट न मिलने से शांत हुए नेता ज्यादा खतरनाक
कांग्रेस और भाजपा के रणनीतिकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती टिकट से वंचित दावेदारों के अंदर का गुस्सा समाप्त करने की है । दरअसल बहुत सारे टिकट के दावेदार टिकट न मिलने से नाराज होकर चुप बैठ गए हैं। उन्होंने न तो नामांकन किया है और न ही बयानबाजी । लेकिन उनके अंदर गुस्सा व्याप्त है और वह एक लक्ष्य निर्धारित कर घर बैठ गए हैं। इसका असर चुनाव परिणामों में साफ तौर पर देखने को मिल सकता है। यही टेंशन कांग्रेस और भाजपा नेताओं की बनी हुई है। इसीलिए ऐसे दावेदारों को दोनों पार्टी के नेता अपने अपने ढंग से समझाने में लगी है।