उत्तराखंड में तोड़े जाएंगे हजारों मकान, सुप्रीम कोर्ट पर नजर, भारी पुलिस बल तैनात

देहरादून । उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने पर बवाल मचा हुआ है। भीषण सर्दी के बीच लोग सड़क पर प्रदर्शन कर अपना आशियाना बचाने की गुहार लगा रह हैं। पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को सुनवाई होनी है।वनभूलपुरा में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने पर नैनीताल हाईकोर्ट अपना फैसला पहले ही सुना चुकी है। हल्द्वानी में 4365 परिवारों को 29 एकड़ रेलवे भूमि पर बने अपने घर खाली करने होंगे। रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर को अपना निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने रेलवे से अतिक्रमणकारियों को एक हफ्ते का नोटिस देकर अतिक्रमण ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। हल्द्वानी वनभूलपुरा बस्ती पर मंडरा रहे संकट की तरह प्रदेश की 582 अन्य बस्तियों पर कभी भी खतरा आ सकता है। 2016 में नियमावली बनाए जाने के बावजूद प्रदेश में एक भी बस्ती का नियमितीकरण नहीं हो पाया। फिलहाल इन बस्तियों को 2024 तक जरूर राहत मिली हुई है। 2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने मलिन बस्तियों को नियमित करने के लिए नियमावली जारी करते हुए दिशा निर्देश तैयार किए थे। इसके लिए उस वक्त प्रदेश में मौजूद 63 निकायों में विस्तृत सर्वे कर बस्तियों की संख्या, जमीन का प्रकार, आबादी का पता लगाया गया। उस सर्वे में प्रदेश में 582 बस्तियों की जानकारी सामने आई। लेकिन ज्यादातर मलिन बस्तियां नदी- नाले और वनभूमि पर बसी होने के कारण इनका नियमितीकरण नहीं हो पाया। 2018 में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट की सख्ती के बाद इन बस्तियों पर संकट गहराने लगा तो तत्कालीन भाजपा सरकार ने कानून बनाकर इन बस्तियों को तीन साल के लिए राहत प्रदान करते हुए, तात्कालिक समाधान निकाला। वनभूलपुरा पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। लोग सड़काें पर दुआएं पढ़ रहे हैं। किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।हल्द्वानी में चार हजार से अधिक घरों के भविष्य का फैसला होना है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के इंतजार में सड़कों पर दुआएं वनभूलपुरा के लोगों ने सड़कों पर दुआएं पढ़ीं। रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है। हल्द्वानी में चार हजार से अधिक घरों के भविष्य का फैसला होना है।

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