मिर्गी के कारण क्या है और उसका प्राथमिक उपचार कैसे करें, जानिए
मिर्गी एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसका दौरा पड़ते समय मरीज के दिमाग का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। दौर पड़ने के दौरान मरीज का शरीर लड़खड़ाने लगता है और बॉडी के कई अंगों पर उस दौरे का असर दिखने लगता है। चेहरे से लेकर हाथ-पैरों तक पर इस परेशानी के लक्षण दिखने लगते हैं। मरीज को बेहोशी आती है, मरीज गिर जाता है और हाथ-पैरों में झटके आने लगते हैं। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 14 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। इस दिन की शुरूआत 2015 में हुई थी। इसे इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) और इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) द्वारा आयोजित किया गया था। इस दिन को मनाने का खास मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। इस दिन को मनाने का खास मकसद है कि आस-पास के लोगों को इस बीमारी के लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है ताकि वो मरीज की देख-रेख कर सकें।
मिर्गी के दौरे के लक्षण: मुंह से झाग निकलना, लगातार एक ही तरफ देखते रहना, बेहोश होना, दांतों का बंद होना, शरीर लडख़ड़ाना।
मिर्गी के दौरे का कारण: मिर्गी न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जिसका प्रमुख कारण मस्तिष्क में नर्वस सेल्स की गतिविधिया बाधित होना है, जिसकी वजह से मिर्गी का दौरा पड़ता है। इसकी वजह से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है। कई मामलों में ये बीमारी जेनेटिक भी होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये परेशानी तेज बुखार या दिल के रोगों की वजह से भी इंसान को बीमारी बना सकती है। आइए जानते हैं कि मिर्गी का दौरा अगर पड़ जाएं तो उस दौरान इस बीमारी पर काबू पाने के लिए क्या उपचार करें।
मिर्गी का प्राथमिक उपचार कैसे करें:
जिन इंसान को मिर्गी का दौरा पड़ा है उसके आस-पास से सारा सामान हटा दें ताकि उसे गिरने से किसी तरह की चोट नहीं लगे।
दौरा पड़ने वाले इनसान के सिर के नीचे कुछ नर्म तकिया या चीज रखें।
दौरा पड़ने के दौरान मरीज़ को कुछ भी खिलाएं-पिलाएं नहीं वरना मरीज का सांस रुक सकता है। अगर मरीज की सांस रूक गई है तो उसे कुछ कृत्रिम सांस दें।
मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज की नाक में तुलसी का रस और सेंधा नमक मिलाकर डालें मरीज को आराम मिलेगा।
अक्सर मिर्गी का दौरा पड़ता हैं तो पोषक तत्वों से भरपूर डाइट का सेवन करें।
लगातार वॉक और एक्सरसाइज करें।