आईआईटी रुड़की ने सफल ओडीओपी कार्यशाला के साथ गन्ने की खेती को आगे बढ़ाया, किसानों को आधुनिक तकनीक व बाजार रणनीतियों के बारे में मिलती है जानकारी
रुड़की । आईआईटी रुड़की में डिजाइन विभाग ने डिजाइन इनोवेशन सेंटर एवं उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, इन्वेस्ट इंडिया, वाणिज्य मंत्रालय के साथ साझेदारी में 6-7 सितंबर, 2024 को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के तहत एक परिवर्तनकारी दो दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यशाला, जिसमें 45 स्थानीय किसानों ने भाग लिया, का उद्देश्य आधुनिक तकनीक एवं नवीन प्रथाओं के माध्यम से गुड़ उत्पादन को बढ़ाना था। कार्यशाला का उद्घाटन आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने किया, जिन्होंने अकादमिक और स्थानीय हितधारकों के सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा, “हमारी प्रतिबद्धता अकादमिक शोध एवं व्यावहारिक समाधानों के बीच की खाई को पाटना है जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करते हैं। यह कार्यशाला टिकाऊ एवं उन्नत प्रथाओं के माध्यम से स्थानीय समुदायों का समर्थन करने के लिए हमारे समर्पण का प्रमाण है। ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल में हमारे प्रयासों का उद्देश्य स्थानीय किसानों को सशक्त बनाना, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाना और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना है। उन्नत प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, हम न केवल दक्षता में सुधार कर रहे हैं, बल्कि गुड़ उत्पादन के लिए मूल्यवान बाजार संबंध भी बना रहे हैं।” पूरे कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों ने आधुनिक तकनीक, स्वच्छता मानकों और बाजार संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए गुड़ उत्पादन में सुधार पर चर्चा की। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने टिकाऊ पैकेजिंग, खाद्य सुरक्षा और उपलब्ध सरकारी वित्तपोषण योजनाओं जैसे विषयों पर व्यापक सत्र दिए। आईआईटी रुड़की में इंफ्रास्ट्रक्चर कुलशासक प्रोफेसर इंद्रदीप सिंह, जो डिजाइन इनोवेशन सेंटर के समन्वयक भी हैं, ने कार्यशाला के प्रभाव पर जोर देते हुए कहा, “स्थानीय उत्पादन प्रक्रियाओं में उन्नत प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, हम न केवल दक्षता में सुधार कर रहे हैं, बल्कि किसानों को प्रतिस्पर्धी बाजारों में कामयाब होने के लिए सशक्त भी बना रहे हैं।” आईआईटी रुड़की में आयोजित ओडीओपी कार्यशाला में गुड़ उद्योग का व्यापक अवलोकन किया गया, जिसमें वर्तमान प्रथाओं और उभरते अवसरों के बारे में अमूल्य जानकारी दी गई। मुख्य सत्रों में खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर जोर दिया गया। कार्यशाला में टिकाऊ पैकेजिंग समाधानों पर भी चर्चा की गई, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए उन्नत तरीकों का प्रदर्शन किया गया। उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रथाओं और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों पर चर्चा की गई, जबकि बाजार में उपस्थिति को मजबूत करने के लिए विपणन और ब्रांडिंग रणनीतियों की खोज की गई। इसके अतिरिक्त, कार्यशाला में किसानों को समर्थन देने के लिए उपलब्ध विभिन्न सरकारी वित्त पोषण योजनाओं और नीतियों पर प्रकाश डाला गया। आईआईटी रुड़की ने इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अकादमिक शोध एवं व्यावहारिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को पाटने के लिए अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाया। उन्नत ज्ञान को एकीकृत करके और स्थानीय हितधारकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देकर, आईआईटी रुड़की टिकाऊ कृषि प्रथाओं को आगे बढ़ा रहा है और गुड़ उत्पादन की समग्र दक्षता को बढ़ा रहा है। कार्यशाला में स्थानीय किसानों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों पर चर्चा की गई, जिसमें पारंपरिक निराई और कटाई के तरीके शामिल हैं। व्यावहारिक जानकारी और समाधान प्रदान करके, इस कार्यक्रम का उद्देश्य गुड़ उत्पादन में उत्पादकता और दक्षता को बढ़ावा देना था। आईआईटी रुड़की के प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों एवं ओडीओपी अधिकारियों की भागीदारी ने टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक प्रयास को रेखांकित किया।