भारतीय ज्ञान प्रणाली के वास्तविक अध्ययन सामग्री की तत्काल आवश्यकता, आईआईटी रुड़की में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर राष्ट्रीय युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया गया
रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) ने जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट: सेलिब्रेटिंग द इंडिक विजडम के हिस्से के रूप में 25 अगस्त, 2023 को एमएसी ऑडिटोरियम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (एनवाईसीआईकेएस) पर राष्ट्रीय युवा सम्मेलन का उद्घाटन सत्र आयोजित किया है। सम्मेलन का आयोजन आईकेएस प्रभाग, एमओई; केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली; पतंजलि विश्वविद्यालय; सीसीआरवाईएन, आयुष मंत्रालय एवं आईआईटी रूड़की पूर्व छात्र संघ के सहयोग से किया जा रहा है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की में आयोजित भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आईकेएस से संबंधित वास्तविक अध्ययन सामग्री विकसित करने के महत्व पर जोर दिया गया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की में आईकेएस पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में वक्ताओं का मुख्य जोर भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर वास्तविक अध्ययन सामग्री विकसित करना समय की मांग है। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, मुख्य अतिथि डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी, अध्यक्ष, एनसीवीईटी, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आईकेएस में उपलब्ध 64 कौशलों (कलाओं) पर प्रकाश डाला जो मानव जीवन के सभी पहलुओं को छू रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत सरकार ने इनमें से कुछ कौशलों में प्रमाणन शुरू कर दिया है।उद्घाटन सत्र के सम्मानित अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईकेएस को भारत का भविष्य बनाने के लिए देखा जाना चाहिए। आईकेएस का अध्ययन केवल सामग्री के रूप में नहीं किया जाना चाहिए और इसके लिए नए सिरे से प्रतिमान अध्ययन की आवश्यकता है। इसे एक मृत ज्ञान प्रणाली नहीं माना जाना चाहिए बल्कि इसे भविष्य के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। एक अन्य सम्मानित अतिथि, प्रोफेसर गंतीमुथी, राष्ट्रीय समन्वयक, आईकेएस डिवीजन, एआईसीटीई, नई दिल्ली ने क्षेत्र में नए शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने की। उन्होंने आईआईटी रूड़की के कुलगीत का जिक्र किया जहाँ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में समृद्ध प्राचीन ज्ञान का वर्णन किया गया है। उद्घाटन सत्र में अतिथियों द्वारा तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के पूर्व छात्र श्री सत्य नारायण और श्री नवीन चंद्र द्वारा लिखित एक पुस्तक जिसका शीर्षक है ऋग्वेद से वाल्मीकी रामायण तक भारत की पुरातत्वविद्या, दूसरी पुस्तक का नाम सुभाषितसंस्कृतम् है, और तीसरी का शीर्षक महावीरकीर्तिसौरभम् है, जिसके लेखक महाकवि डॉ. मनोहरलाल आर्य हैं।उद्घाटन सत्र के दौरान आईआईटी गांधीनगर के प्रोफेसर मिशेल डैनिनो की मुख्य वार्ता ने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने उल्लेख किया कि हमें छात्र और शिक्षक केंद्रित शिक्षा तथा केवल पाठ्य पुस्तक केंद्रित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने एक अलग शिक्षाशास्त्र से आईकेएस को समझने के महत्व पर भी प्रकाश डाला जो आकर्षक, प्रेरक और बातचीत करने वाला होना चाहिए। इससे जीवनभर ज्ञान बनाए रखने में मदद मिलेगी। उद्घाटन सत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह भी उपस्थित थे। सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रोफेसर अनिल गौरीशेट्टी ने सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रोफेसर अवलोकिता अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की में आईकेएस पर राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत के भविष्य को आकार देने में आईकेएस के महत्व और नए शोध, आकर्षक शिक्षाशास्त्र और इस पारंपरिक ज्ञान प्रणाली की समग्र समझ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इसने आईकेएस को आगे बढ़ाने और बढ़ावा देने के लिए वास्तविक अध्ययन सामग्री विकसित करने के महत्व को भी रेखांकित किया।