पशुपालकों की आय में होगी बंपर वृद्धि, गाय-भैंसों को खिलाएं ये घास, 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ेगा दूध
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गाय-भैंसों का पालन बड़े स्तर पर किया जाता है। इन गायों से ज्यादा दूध उत्पादन हासिल किया जा सके, इसके लिए उनके पोषण का खास ध्यान भी रखा जाता है। इसी कड़ी में बरसीम, जिरका, गिनी और पैरा जैसी अनेक घास को आहार के तौर पर दिया जाता है। इन सभी घांसों में नेपियर घास को सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
5 साल तक लगातार मिलेगा हरा चारा
नेपियर घास की खेती हर तरह की मिट्टी में हो सकती है। इसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है। यही वजह है कि इसकी लागत भी कम बैठती है। इसे एक बार लगाने पर 5 साल तक लगातार हरा चारा मिलता है। इसकी पहली कटाई 60 से 65 दिनों में करें. इसके बाद अगले 5 साल तक हर 35-40 दिनों में इसकी कटाई कर सकते हैं।
फरवरी से जुलाई के बीच हो सकती है नेपियर घास की रोपाई
इस घास को परती जमीन और एकल फसली खेतों में भी आसानी से उगा सकते हैं। इसे खेतों के मेड़ पर लगाया जा सकता है। नेपियर की रोपाई फरवरी से जुलाई के बीच भी हो सकती है। जल भराव वाले खेत नेपियर के लिए मुफ़ीद नहीं रहते इसलिए नेपियर के घास के लिए बेहतर जलनिकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
पशुओं में 10 से 15 प्रतिशत तक दुग्ध उत्पादन की क्षमता में होती है वृद्धि
इस घास में प्रोटीन 8-10 फीसदी, रेशा 30 फीसदी और कैल्सियम 0.5 फीसदी होता है। इसे दलहनी चारे के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार नेपियर के घास को हरे चारे के तौर पर पशुओं को खिलाने से उनमें दूग्ध उत्पादन देने की क्षमता 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है। ऐसे में दुग्ध उत्पादन में बिक्री पशुपालकों की आय में इजाफे के तौर पर देखी जा सकती है।