शरीर को भीतर से तार-तार कर देती है शराब, जानिए इसके बड़े नुकसान

शराब के लिए चाहत, इसका सेवन करने के बहाने और इस पर कई किस्म के जुमले, शायरी या गीत मशहूर हो सकते हैं। लेकिन शराब को शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक साथ कई अंगों को नुकसान पहुंचाती है। इससे न केवल लिवर खराब होता है, बल्कि दिमाग पर भी उल्टा असर पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, शराब की एक घूंट महज 30 सेकंड में दिमाग तक अल्कोहल पहुंचाने के लिए काफी है। दिमाग में पहुंच कर यह अल्कोहल उन केमिकल्स और प्रोसेस को प्रभावित करता है, जो दिमाग से संदेश लेकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाता है। इसी के कारण दिमाग के काम करने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और इसका संतुलन गड़बड़ा जाता है। ज्यादा शराब पीने से याददाश्त कमजोर हो जाती है।

एम्स के डॉ. उमर अफरोज कहते हैं कि शराब की लत लगने के बाद इन्सान यह सोचने समझने की स्थिति में नहीं रहता है कि वह कितनी शराब पी रहा है और इसके क्या नुकसान होंगे?

नजर आएं ये लक्षण तो समझिए पड़ गई है शराब की लत
– खाना कम खाना या ठीक से नहीं खाना
– अकेले शराब पीना
– शराब पीने के बहाने खोजना
– शराब के लिए कोई भी नुकसान झेलने को तैयार रहना
– भारी तनाव या परेशानी हो तो भी शराब पीना
– बात-बात में गुस्सा होना, चिढ़ना
– खुद का ख्याल नहीं रखना
– शराब नहीं मिलने पर हाथ-पांव कांपना
– शराब नहीं मिलने पर उल्टी होना

कितनी घातक है शराब
शराब का सबसे ज्यादा असर किडनी पर पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, शराब के सेवन से दिमाग उस हार्मोन को प्रभावित करता है जो किडनियों को अधिक मात्रा में यूरिन बनाने से रोकता है। यानी शराब पीने से बार-बार पेशाब के लिए जाने की जरूरत महसूस होती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति रहे तो किडनी खराब हो सकती है। शरीर में जाने के बाद अल्कोहल को प्रोसेस करने का काम लिवर करता है। इस तरह अल्कोहल में शामिल कई टॉक्सिन्स लिवर तक पहुंचते हैं। इनके कारण लिवर फूल जाता है, जिसे फैटी लिवर कहा जाता है और यह खराब हो सकता है।

डायबिटीज का सबसे ज्यादा खतरा शराब पीने वालों को होता है। कारण- शरीर में इन्सुलिन बनाने का काम पैंक्रियाज यानी अग्नाशय का होता है और अल्कोहल इस काम में बाधा बनता है। लंबे समय तक अधिक शराब पीने से शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाता है और व्यक्ति डायबिटीज का मरीज बन जाता है। समय रहते शराब पर काबू न पाया जाए तो यह स्थिति पैंक्रियाटिक कैंसर में बदल जाती है।

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