यूरिक एसिड बढ़ने पर इन बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा, जानिए कैसे करें कंट्रोल
हमारे शरीर के सारे महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिल, फेफड़े, दिमाग और किडनी के अपने अलग-अलग कार्य हैं। इसमें किडनी शरीर का सबसे महत्वपूर्ण काम करती है। किडनी शरीर में बनने व भोजन के माध्यम से जाने वाले अनेक कैमिकल्स, खनिज और बेकार पदार्थों को छानकर पेशाब के द्वारा बाहर निकाल देती हैं। शरीर में यूरिक एसिड तब बनने लगता है, जब प्यूरीन नाम का एक केमिकल हमारे शरीर में अधिक हो जाता है। दरअसल ये हमारी खान-पान की चीजों से शरीर में बनता है। यह एसिड खून में मिलकर किडनी तक पहुंचता है लेकिन इसकी अधिकता के कारण हमारी किडनी इसे बाहर नहीं निकाल पाती और ब्लड में इसकी मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना अपने साथ कई तरह की परेशानियां लेकर आता है और आपको अपनी रोजाना की जिंदगी में भी कई तरह की परेशानियों का शिकार होना पड़ता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि आखिर शरीर में यूरिक एसिड का लेवल क्यों बढ़ता है तो आइए बताते हैं ऐसा क्यों होता है। इसके बढ़ने से हमारे शरीर में कई बीमारियों का खतरा बन जाता है।
इन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के रुमोटोलॉजी विभाग के पूर्व वरिष्ठ रुमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर लक्ष्मण मीणा के मुताबिक यूरिक एसिड की अधिक मात्रा मुख्यतः मोटाबॉलिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोग, जैसे- डायबिटीज, मोटापा, हाइपरटेंशन एवं लंबे समय से शराब और लाल मीट का सेवन कर रहे हैं, उनमें यूरिक एसिड की ज्यादा मात्रा मिलती है। शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने ना सिर्फ जोड़ों में तेज दर्द, सूजन, लालिमा और अकड़न की समस्या होती है बल्कि गंभीर मामलों में तो किडनी फेलियर, लिवर फेलियर, हार्ट अटैक और गुर्दे में पथरी जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
ऐसे रखें ख्याल: डॉक्टर मीणा ने कहा, “इलाज में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने की दवाइयां जैसे एलोप्यूरिनोल एवं फिबुजोस्टेट लेने की सलाह दी जाती हैं। लेकिन यह दवाइयां बीमारी के आधार पर अपने डॉक्टर की सलाह पर ही लें। साथ ही उन्होंने बताया कि यूरिक एसिड से जूझ रहे लोगों को अपने खाने में फाइबर युक्त चीजें जैसे साबुत अनाज, सेब, संतरे और स्ट्रॉबेरी को शामिल करना चाहिए। इसके साथ अपने डाइट में खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, अंगूर, टमाटर, आदि एवं अमरूद, केला, बेर, बिल्व, कटहल, शलगम, पुदीना, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया और पालक आदि को शामिल करना चाहिए। यह सभी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं।