आईआईटी रुड़की एवं सी-मेट हैदराबाद ने ई-कचरा पुनर्चक्रण व इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए रणनीतिक साझेदारी की

रुड़की । राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) एवं इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी सामग्री केंद्र (सी-मेट) हैदराबाद, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी ने उन्नत सामग्री अनुसंधान, ई-कचरा रीसाइक्लिंग एवं प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

समझौता ज्ञापन पर आईआईटी रुड़की के ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन सेंटर में सी-मेट हैदराबाद के निदेशक डॉ. आर. रथीश एवं आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने हस्ताक्षर किए। यह सहयोग दोनों संस्थानों के बीच संकाय, शोधकर्ताओं और छात्रों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को सुविधाजनक बनाने, ई-कचरे के पुनर्चक्रण के लिए अत्याधुनिक प्रक्रिया उपकरणों के विकास और कार्यशालाओं एवं सम्मेलनों की सहकारी मेजबानी के लिए बनाया गया है।

शिक्षाविदों एवं सरकार के बीच सहयोग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने में संयुक्त प्रयासों के बढ़ते महत्व का उदाहरण है। यह तालमेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण के साथ सहजता से मेल खाता है, जो भारत को अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक पूर्ण विकसित राष्ट्र में बदलने की आकांक्षा रखता है।
इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा, “सी-मेट के साथ यह साझेदारी प्रभावशाली अनुसंधान के लिए एक मार्ग खोलती है, जो इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन और टिकाऊ सामग्रियों में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करती है। यह अंतःविषय अनुसंधान और उद्योग-प्रासंगिक नवाचार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
सी-मेट के निदेशक डॉ. आर. रथीश ने कहा, “हमें भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक आईआईटी रुड़की के साथ सहयोग करके खुशी हो रही है। यह समझौता ज्ञापन हमें अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं और इंजीनियरों को प्रशिक्षित करते हुए उन्नत सामग्री और रीसाइक्लिंग में प्रौद्योगिकी विकास की सीमाओं को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने की अनुमति देगा।”
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक डी. श्री सुरेन्द्र गोथरवाल ने इस बात पर जोर दिया कि, “यह समझौता ज्ञापन न केवल अग्रणी शोध संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि छात्रों और संकायों के लिए उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार उच्च प्रभाव वाले अनुप्रयुक्त अनुसंधान समस्याओं में संलग्न होने के अनूठे अवसर भी खोलता है। ई-कचरे के पुनर्चक्रण पर संयुक्त ध्यान आज की स्थिरता-संचालित दुनिया में विशेष रूप से प्रासंगिक है।”
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की), सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी मेट) के सहयोग से, ई वेस्ट मैनेजमेंट में एक अग्रणी एम टेक कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा करते हुए गर्व महसूस कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य एक टिकाऊ, प्रौद्योगिकी-संचालित भविष्य के लिए भारत की महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप, इलेक्ट्रॉनिक कचरे से उत्पन्न बढ़ती चुनौतियों का सामना करने में राष्ट्रीय क्षमता और गहन विशेषज्ञता का निर्माण करना है। यह साझेदारी छात्र इंटर्नशिप, डॉक्टरेट अनुसंधान सहयोग, शैक्षणिक संसाधनों के आदान-प्रदान और अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचे तक साझा पहुंच का मार्ग भी प्रशस्त करती है। यह समझौता टिकाऊ इलेक्ट्रॉनिक्स, परिपत्र अर्थव्यवस्था और नवाचार-आधारित विनिर्माण में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है। नई दिल्ली में टेक-वर्स 2025 कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेटी) के सचिव श्री एस कृष्णन की उपस्थिति में समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह में सी-मेट त्रिशूर के केंद्र प्रमुख डॉ. एस. राजेश कुमार, प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श (एसआरआईसी) के कुलशासक प्रो. विवेक कुमार मलिक, रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख प्रो. प्रसेनजीत मोंडल, धातुकर्म एवं सामग्री अभियांत्रिकी विभाग के प्रो. निखिल धवन व रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग की प्रो. कोमल त्रिपाठी की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने इस रणनीतिक साझेदारी के सहयोगात्मक महत्व को रेखांकित किया।

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