उत्तराखंड: रिश्वतखोर पशु चिकित्सक मोनिका गोयल को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा, इस तरह हुआ खुलासा

 

देहरादून । बकरी पालन के लिए सरकारी अंशदान का चेक देने के एवज में आठ हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए नौगांव पशु चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक मोनिका गोयल को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा। देहरादून विजिलेंस कार्यालय में ही आरोपित पशु चिकित्सक के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस घटना से उत्तरकाशी पशुपालन विभाग सहित अन्य विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। मध्य प्रदेश मुरैना निवासी डा. मोनिका गोयल पशुपालन विभाग उत्तरकाशी में 2011 से तैनात है। विजिलेंस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता ने गत 12 जनवरी को हेल्प लाइन नंबर 1064 पर शिकायत दर्ज करवाई। 13 जनवरी को इस मामले में शिकायतकर्ता ने लिखित रूप से शिकायत विजिलेंस देहरादून को दी। जिसमें शिकायतकर्ता ने कहा कि अनुसूचितजाति व जनजाति की बीपीएल महिलाओं के लिए सरकारी की बकरी पालन योजना है।

इसके लिए उन्होंने आवेदन किया। 11 बकरियों, बकरी बाड़ा, बीमा आदि के लिए 70 हजार रुपये की धनराशि का चेक मिलना था। परंतु सरकारी अंशदान का चेक देने के ऐवज में पशुपालन विभाग नौगांव में तैनात पशु चिकित्सक डा. मोनिका गोयल 8000 रुपये की रिश्वत मांगी। इस पर शिकायतकर्ता महिला ने आग्रह किया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है। इतने पैसे नहीं दे सकती। पशु चिकित्सक डा. मोनिका गोयल ने कहा कि आठ हजार देने के बाद ही सरकारी अंशदान का चेक दिया जाएगा। शिकायतकर्ता महिला ने अपने शिकायती पत्र में लिखा कि वह रिश्वत नहीं देना चाहती है बल्कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को पकड़वाना चाहती है। विजिलेंस एसपी धीरेंद्र गुंज्याल ने कहा कि विजिलेंस पुलिस उपाधीक्षक रेनू लोहानी ने शिकायती पत्र के आधार पर गोपनीय जांच करवाई। जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए। जिस पर उन्होंने एक ट्रैप टीम का गठन किया। बुधवार को यह टीम नौगांव पहुंची। जहां नौगांव पशु अस्पातल में तैनात पशु चिकित्सक डा. मोनिका गोयल को आठ हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। वहीं आरोपित को रंगे हाथों गिरफ्तार करने वाली टीम के उत्साहवर्धन के लिए निदेशक विजिलेंस ने परितोषित देने की घोषणा की।

उत्तरकाशी के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. भरत दत्त ढौंडियाल ने कहा कि नौगांव पशुपालन विभाग में तैनात डा. मोनिका गोयल रिश्वत लेते हुए पकड़ी गई। इसकी सूचना उन्हें मिली है। लिखित रूप में जानकारी मिलने पर विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।

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