निबंध प्रतियोगिता वंशिका प्रथम, मधुमिता ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, श्री इंद्रमणि बडोनी के जन्म-दिवस समारोह का आयोजन

रुड़की । श्री इंद्रमणि बडोनी के जन्म -दिवस के उपलक्ष में संस्कृति दिवस के रूप में केंद्रीय विद्यालय न. एक रूड़की के विद्यार्थियों ने धूमधाम से विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग करते हुए बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया। जबकि विद्यालय विद्यार्थियों के लिए शीतकालीन अवकाश की वजह से बंद हो रहा है आज आखिरी दिन इस समारोह को मनाया गया। सर्वप्रथम प्राचार्य श्री वीके त्यागी ने श्री इंद्रमणि बडोनी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की| तत्पश्चात उप प्राचार्या श्रीमती अंजू सिंह के साथ सभी शिक्षक – शिक्षिकाओं ने पुष्पांजली अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । इस अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए प्राचार्य वी के त्यागी ने कहा कि उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन की शुरुआत करने वाले इंद्रमणि बड़ोनी को उत्तराखंड का गांधी यूं ही नहीं कहा जाता है, इसके पीछे उनकी महान तपस्या व त्याग रही है। राज्य आंदोलन को लेकर उनकी सोच और दृष्टिकोण को लेकर आज भी उन्हें शिद्​दत से याद किया जाता है। उन्होंने अहिंसात्मक आंदोलन को कभी भटकने नहीं दिया।
इंद्रमणि बड़ोनी 24 दिसंबर, 1925 को टिहरी जिले के जखोली ब्लॉक के अखोड़ी गांव में जन्मे थे। वह ओजस्वी वक्ता होने के साथ ही रंगकर्मी भी थे। लोकवाद्य यंत्रों को बजाने में निपुण थे।पहाड़ की संस्कृति और परम्पराओं से उनका गहरा लगाव था। मलेथा की गूल और वीर माधो सिंह भंडारी की लोक गाथाओं का मंचन उन्होंने दिल्ली और बम्बई तक किया।
इस अवसर पर विद्यालय में “श्री इंद्रमणि बडोनी: जीवन वृतांत और योगदान“ विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, लोकगीत, लोकनृत्य प्रतियोगिता एवं कवि सम्मलेन का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इसमें निबंध प्रतियोगिता ( हिंदी में ) वंशिका ( 8 ब ) प्रथम, मधुमिता (8 ब ) द्वितीय एवं तन्वी (7 ब) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया । चित्रकला प्रतियोगिता में अंशिका ( 11 सी ) प्रथम, अंशकांत मिश्रा (6 ब ) द्वितीय एवं आशुतोष (6 अ ) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया ।
भाषण प्रतियोगिता में रिया शुक्ला ( 6 स ) प्रथम, आहना (6 स ) द्वितीय तथा कनिष्का ( 6 स ) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया | लोक नृत्य प्रतियोगिता में अंजलि पन्त ( 12 स ) प्रथम, प्रियंका कनोजिया (9 सी ) ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया । इस अवसर पर उप प्राचार्या अंजू सिंह ने कहा कि वर्ष 1953 का समय, जब बड़ोनी गांव में सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों में जुटे थे, इसी दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्या मीराबेन टिहरी भ्रमण पर पहुंची थी। बड़ोनी की मीराबेन से मुलाकात हुई। इस मुलाकात का असर उन पड़ा। वह महात्मा गांधी की शिक्षा व संदेश से प्रभावित हुए। इसके बाद वह सत्य व अहिंसा के रास्ते पर चल पड़े। पूरे प्रदेश में उनकी ख्याति फैल गई। इसलिए लोग उन्हें उत्तराखंड का गांधी बुलाने लगे थे। उत्तराखंड निर्माण में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है।

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