आयुर्वेद में गाय का घी अमृत, रात में सोने से पहले नाक में दो बूंद डाल कर देखें, भूल जाएंगे इन बीमारियों के लिए दवाई खाना

रुड़की । बड़े बुजुर्गों से अक्सर सुनने को मिलता है कि पहले के समय में लोग दूध-घी का खूब सेवन किया करते थे। घी को तो कई औषधीय के रूप में प्रयोग में लाया जाता रहा है। धीरे-धीरे हम इसे नजरअंदाज करते जा रहे हैं। आज भी घी का प्रयोग कई बीमारियों में रामबाण है। देसी गाय का घी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एवं रोग-निवारण के साथ पर्यावरण-शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन है। प्रतिदिन रात को सोते समय नाक में दो-दो बूंद देसी घी डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है। देसी घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खींच ले। पांच मिनट लेते रहें। इसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है। गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म होती है। लकवा रोग भी जड़ से खत्म होता है। गाय के शुद्ध देसी घी से पागलपन दूर होता है और कान का पर्दा बिना ऑपरेशन ठीक हो जाता है। कमजोरी दूर होती है। भूलने की बीमारी भी ठीक होती है।

हार्ट अटैक : जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने पर रोक है, वह गाय का देसी घी खाए, ह्रदय मजबूत होगा।

चर्म रोगों में चमत्कारिक : गाय के घी को ठंडे जल में मिला नें और फिर घी को पानी से अलग करें। यह प्रक्रिया लगभग 100 बार करें और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है। इससे चर्म रोगों में भरपूर राहत मिलती है। यह सोरायसिस के लिए भी कारगर है।

बाल झड़ना : घी नाक में डालने से बाल झड़ना खत्म हो जाता है, नए बाल भी आने लगते हैं।

बढ़ती है आंखों की रोशनी : एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पीसी काली मिर्च, इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

कोमा से जगाए : घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है।

हथेली और पांव के तलवों में जलन : हथेली और पांव के तलवों में जलन होने पर घी की मालिश करने से जलन में आराम मिलेगा।

कफ की शिकायत : गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।

कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता : गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है बल्कि इसे फैलने से भी रोकता है।

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