नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है

नवरात्रि माता भगवती की साधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में पांच ज्ञान इन्द्रियां, पांच कर्म इन्द्रियां और एक मन इन ग्यारह को जो संचालित करती हैं वही परम शक्ति हैं जो जीवात्मा,परमात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश और चिदाकाश में सर्वव्यापी है | इनकी श्रद्धाभाव से आराधना की जाए तो चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है | मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है,नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-अर्चना किया जाता है।

इसलिए कहते हैं मां चंद्रघंटा
देवी का यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी हैं। बाघ पर सवार मं चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित हैं। इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं।इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है। इनके घंटे की सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव- दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप दर्शक और आराधक के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है।अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं।इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है।

साधक में आ जाते हैं ये गुण
मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति का अनुभव करते हैं। ऐसे साधक के शरीर से दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता है। यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखायी नहीं देती,किन्तु साधक व उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव करते हैं। इनकी आराधना से प्राप्त होने वाला एक बहुत बड़ा सद्गुण यह भी है कि साधक में वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता हैं। उसके मुख, नेत्र तथा सम्पूर्ण काया में कांति वृद्धि होती है एवं स्वर में दिव्य-अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है।

उपासना से मिलता है ये फल
इनकी आराधना से साधकों को चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं । इनका वाहन सिंह है अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।

ऐसे लोगों को करनी चाहिए मां आराधना
विशेष रूप से ऐसे लोग जिनको बहुत क्रोध आता हो या फिर छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाने और तनाव लेने वाले तथा पित्त प्रकृति के लोग मां चंद्रघंटा की भक्ति करें।

पूजाविधि
मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं। अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर,अर्पित करें। केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। मां को सफेद कमल,लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।

स्तुति मंत्र-
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share