बद्रीनाथ धाम में नहीं बजाया जाता है शंख, जानें क्या है इसके पीछे की मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु को शंख की ध्वनि प्रिय लगती है, लेकिन उनके धाम बदरीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता है। सभी मंदिरों में शंख की ध्वनि से देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है, लेकिन हिमालय की तलहटी पर विराजमान बदरीनाथ धाम में शंखनाद नहीं होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसके पीछे एक प्राचीन मान्यता है जो रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के सिल्ला गांव से जुड़ी हुई है। इस मान्यता के अनुसार रुद्रप्रयाग के सिल्ला गांव स्थित साणेश्वर मंदिर से बातापी राक्षस भागकर बदरीनाथ धाम में शंख में छुप गया था, इसलिए धाम में शंखनाद नहीं होता है। कहा जाता है कि जब हिमालय क्षेत्र में असुरों का आतंक था। तब, ऋषि-मुनि अपने आश्रमों में पूजा-अर्चना भी नहीं कर पाते थे। यही स्थिति साणेश्वर महाराज के मंदिर में भी थी। यहां जो भी ब्राह्मण पूजा-अर्चना को पहुंचते, राक्षस उन्हें अपना निवाला बना लेते। असुरों के आतंक से बचने के लिए साणेश्वर महाराज ने अपने भाई अगस्त्य ऋषि से मदद मांगी। एक दिन अगस्त्य ऋषि सिल्ला पहुंचे और साणेश्वर मंदिर में स्वयं पूजा-अर्चना करने लगे, लेकिन राक्षसों का उत्पात देखकर वह भी सहम गए। उन्होंने मां भगवती का ध्यान किया तो अगस्त्य ऋषि की कोख से कूष्मांडा देवी प्रकट हो गई। देवी ने त्रिशूल और कटार से वहां मौजूद राक्षसों का वध किया। कहा जाता है कि देवी से बचने के लिए तब आतापी-वातापी नाम के दो राक्षस वहां से भाग निकले।तभी आतापी राक्षस मंदाकिनी नदी में छुप गया और वातापी राक्षस यहां से भागकर बदरीनाथ धाम में शंख में छुप गया। मान्यता है कि तभी से बदरीनाथ धाम में शंख बजना वर्जित कर दिया गया।

पर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे पर फॉलो करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *