अचानक हुई साप्ताहिक बंदी के खिलाफ जेएम को ज्ञापन सौंपा, कहा जिलाधिकारी के आदेशों के बारे में व्यापारियों को किसी भी प्रकार से कोई सूचना नहीं हो पाई

रुड़की । प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल ने अचानक साप्ताहिक बंदी किए जाने का विरोध किया है। व्यापारियों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में व्यापार मंडल ने बताया कि अचानक मंगलवार रात जिलाधिकारी ने साप्ताहिक बंदी के आदेश पारित किए। इन आदेशों के बारे में व्यापारियों को किसी भी प्रकार से कोई सूचना नहीं हो पाई है। बाजार पूर्व के आदेशों के अनुरूप नियमित रूप से खुला। प्रशासन बाजार बंद कराने के साथ जुर्माना लगाकर चालान कर रहा है। जो स्थिति बनी वह पहले और समय से सूचना नहीं होने के कारण उत्पन्न हुई। कहा कि व्यापारी कोविड-19 के चलते शासन की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन कर रहा है। शासन द्वारा बार-बार आदेशों में परिवर्तन अचानक से हो रहे हैं। अभी तक सप्ताह में 2 दिन का शनिवार-रविवार का लॉकडाउन पूर्व घोषित था। उसको निरस्त करने की सूचना व्यापारियों को नहीं भेजी गई है। सूचनाएं ठीक प्रकार से प्रसारित नहीं होती हैं। कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2017 में और प्रदेश सरकार द्वारा 5 जनवरी 2018 को आदेश पारित किया गया था। इसमें साप्ताहिक बंदी का कोई उल्लेख नहीं है। इस संबंध में पहले जारी अधिसूचना के कारण साप्ताहिक बंदी का कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है। अब बाजार बंद करना, प्रतिष्ठान खोलना, बंद करना स्वैच्छिक है। ऐसे में साप्ताहिक बंदी का कोई औचित्य नहीं रह गया है। व्यापार मंडल ने कहा कि कोरोना के दुष्प्रभावों से सभी को सुरक्षित रखने के लिए शासन द्वारा किसी भी एक दिवस का संपूर्ण बंद जनपद में एक साथ ही लगाया जाना चाहिए। आम लोगों की सुविधा के लिए सुबह आवश्यक वस्तु की आपूर्ति की जा सकती है। व्यापार मंडल का कहना है कि साप्ताहिक बंदी में जनपद के बाजार अलग-अलग दिन बंद रहे, यह उचित नहीं है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री नवीन गुलाटी, अजय गुप्ता, रामगोपाल कंसल, नितिन शर्मा, दीपक अरोड़ा, शशांक गुप्ता शामिल रहे।संगठन के प्रदेश महामंत्री नवीन गुलाटी ने बताया कि जेएम नमामि बंसल को ज्ञापन देने के साथ अचानक बाजार बंद को लेकर चर्चा की गई। कहा कि साप्ताहिक बंदी सेनेटाइजेशन कराने के नाम पर किया जा रहा है। जबकि दिन में सेनेटाइजेशन होता ही नहीं है और न ही हो रहा है। बताया कि रुड़की में लगभग 20 बाजार हैं। एक दो बाजारों को छोड़कर आज तक किसी अन्य बाजार में सेनेटाइजेशन का कार्य नहीं कराया गया है। कहा कि, साप्ताहिक बंदी के नाम पर मास्क आदि के नाम पर चालान किए गए। व्यापारियों से वसूला गया यह जुर्माना वापस किया जाना चाहिए।

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