जिला पंचायत बोर्ड में बसपा जिलाध्यक्ष का दांव उलट पड़ा, पार्टी से निष्कासित सदस्य अब खुलकर करेंगे सुभाष वर्मा का समर्थन

रुड़की । जिला पंचायत की सियासत में बहुजन समाज पार्टी का दांव उसी के उलट पड़ गया। पार्टी जिलाध्यक्ष ने बसपा समर्थित पाच जिला पंचायत सदस्यों को राजनीतिक रूप से झटका देने के लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित किया। जिलाध्यक्ष स्तर से की गई कार्रवाई से एकबारगी लगा भी की बसपा समर्थित पांचों जिला पंचायत सदस्यों में घबराहट बनेगी। ऐसे मेवा है पार्टी जिला अध्यक्ष के समक्ष सफाई देने जैसी स्थिति में आ सकते हैं। लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। पांचों जिला पंचायत सदस्य आज काफी आक्रामक नजर आए। पांचों ने ही साफ तौर पर कहा कि वह पहले ही कह चुके थे कि बबलू राणा को वह वोट नहीं देंगे । क्योंकि वह भाजपा के विद्रोही प्रत्याशी हैं और बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित चल रहे पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद के समर्थक। बसपा नेता भागमल और जयंत चौहान का कहना है कि वह बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के सच्चे सिपाही हैं। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में वह किया जो कि उन्हें पार्टी हित और जिले के विकास के लिए बेहतर दिखा। जब उनसे पूछा गया कि बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष लोकेंद्र कुमार ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है तो उनका जवाब था कि अभी तो यही तय नहीं कि लोकेंद्र कितने दिनों के जिलाध्यक्ष है। चौधरी राजेंद्र सिंह कब तक बहुजन समाज पार्टी में रहते हैं। पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद को बहन जी फिर से पार्टी में लेगी भी है या नहीं। बसपा जिला पंचायत सदस्यों ने आज खुले तौर पर कहा कि जिला पंचायत बोर्ड में वह निर्णय लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें यह कतई मंजूर नहीं था कि कोई उनकी वोट के पैसे लेकर अपनी मर्जी के मुताबिक वोट डलवा दें। यहां राजनीतिक जानकार भी बता रहे हैं कि बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष द्वारा जो अपनी पार्टी के पांच सदस्यों को निष्कासित किया गया है। उनका यह राजनीतिक दांव ठीक उनके ही उलट पड़ गया है। क्योंकि जिला पंचायत बोर्ड के संचालन के लिए सदस्यों की जरूरत होती है और यदि बसपा जिलाध्यक्ष अपनी पार्टी के पांच सदस्यों को निष्कासित न करते तो हो सकता था ऐसे में जनवरी को प्रस्तावित बोर्ड की बैठक में यह सदस्य खुलकर जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा के प्रस्ताव का समर्थन न कर पाते। लेकिन अब यह सदस्य अपनी मर्जी के मालिक हैं। अब उनके पर बसपा जिला संगठन का कोई नियंत्रण नहीं रहा है। ऐसे में वह है निश्चित रूप से जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा का खुलकर समर्थन करेंगे। इतना ही नहीं वह बसपा समर्थित अन्य सदस्यों को भी अपने साथ जोड़कर अपनी ताकत में इजाफा करेंगे। समय आने पर यह जिला पंचायत सदस्य पार्टी यह भी जताने की कोशिश करेंगे कि असली बसपाई वही है। क्योंकि इन बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों के साथ पार्टी के कई नेता भी हैं। जो कि पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद के धुर विरोधी हैं और वह पूर्व विधायक समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी बबलू राणा का समर्थन करने के कतई पक्ष में नहीं थे। जानकारी दो यहां तक मिल रही है कि पूर्व विधायक के विरोधी इन नेताओं के द्वारा ही बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को यह बात समझाई गई कि जब बसपा समर्थित कोई जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ रहा है तो ऐसे में वह अपनी मर्जी से वोट डाले। जब पार्टी हाईकमान उनसे इस संबंध में सवाल करेगा तो यही कहना कि बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा पार्टी से निकाले गए पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद के समर्थित प्रत्याशी को वह भला वोट कैसे देते। बहरहल, बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य अब स्वतंत्र हो गए हैं । इसे कहीं ना कहीं नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा को बड़ी ताकत मिली है । जो कहा जा रहा था कि बोर्ड की बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा को सदस्यों का बहुमत बनाए रखना चुनौती रहेगा। अब उनके सामने ऐसी कोई दिक्कत नजर नहीं आ रही है ।क्योंकि बसपा के सदस्य उनके खुलकर समर्थन में आ गए हैं । इनके द्वारा चार पांच और सदस्य भी तोड़ दिए गए हैं। इन सदस्यों की आज जिला पंचायत रुड़की डाक बंगले पर जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा से मुलाकात भी कराई गई है।

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