रमजान के अलविदा जुमे की नमाज अकीदत और शांति के साथ अदा की गई, नमाजियों ने अमन-शांति और देश व प्रदेश की खुशहाली की दुआ की
रुड़की । रमजान के आखिरी व अलविदा जुमा की नमाज अकीदत और शांति के साथ अदा की गई।नगर की प्रमुख जामा मस्जिद सहित आसपास की मस्जिदों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों ने अलविदा जुमा की नमाज अदा की।जामा मस्जिद में मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने नमाज अदा कर अमन-शांति और देश व प्रदेश की खुशहाली की दुआ की।
मौलाना अजहर उल हक ने नमाज से पूर्व अपने खिताब में कहा कि रमजान उल मुबारक को अल्लाह का महीना कहा गया है।इस पाक महीने में इबादत करने वाले को अल्लाह ताला खुद इनाम देंगे।उसके बंदे अल्लाह को राजी करने के लिए रातों की इबादत में लगे हुए हैं और एतिकाफ करने वालों की वजह से बस्तियों में अल्लाह की बेशुमार रहमतें और बरकतें नाजिल होती हैं।बरकत कहते हैं,थोड़े में सब्र का पूरा हो जाने को,सो रमजान में रोजे की वजह से अल्लाह की रहमतें बरसती हैं और सूरज ढलने के बाद इफ्तार व सहरी की बरकतें नाजिल होती हैं।इन रहमतों और बरकतों को पाने के लिए लोग पूरे महीने के रोजे रखते हैं।
नमाजों को पूरी पाबंदी के साथ पढ़ते हैं।इस माहे रमजान की खास नमाज यानी तराबीह पूरे लगन के साथ अदा की जाती है और इस महीने में इबादत करने वालों को अल्लाह ताला खुद इनाम देंगे।उन्होंने कहा कि तराबीह असल में रोजे की तरह ही मुश्किल इबादत है,लेकिन दिनभर के रोजे की थकान के बाद रात के पहले पैरे में यह खास नमाज अदा की जाती है।इस नमाज के पढ़ने से जहां रोजेदार का इम्तिहान होता है,वहीं दिनभर के रोजे की थकान के बाद उसे एक लंबी नमाज में अल्लाह ताला के सामने अपनी हाजिरी पेश करने के बाद सुकून भी मिलता है।उन्होंने कहा कि रोजे का असल मकसद है,बंदा अपनी जिंदगी में तकवा ले,अल्लाह की इबादत करे और अपने नेक आमाल और हुस्न सलूक से पूरी इंसानियत को फायदा पहुंचाए।जामा मस्जिद के अलावा अलविदा जुमे की नमाज नगर की अन्य मस्जिदों फातिमा मस्जिद,मदीना मस्जिद,नूर मस्जिद,शेख बेंचा मस्जिद,मरकज वाली मस्जिद,मस्जिद लोहारान,मस्जिद कानून गोयन,सिविल लाइन मस्जिद,पुरानी कचहरी मस्जिद,ईदगाह मस्जिद,रेलवे स्टेशन मस्जिद,शेखपुरी मस्जिद,आजाद नगर मस्जिद,गफूरिया मस्जिद,आईआईटी मस्जिद,सफर मैना मस्जिद,मदरसा इरफान उल उलूम मस्जिद,मदरसा मिसबाहउल उलूम मस्जिद और मस्जिद रहीमिया की मस्जिदों में भी अदा की गई।इस मौके पर मौलाना अरशद कासमी कारी मोहम्मद कलीम,इंजीनियर मुजीब मलिक,कारी मोहम्मद अहतसाम,मौलाना सदाकत अली,प्रशासक हाजी मोहम्मद मुस्तकीम,डॉक्टर नैयर काजमी,अफजल मंगलौरी,हाजी नौशाद अहमद,हाजी मोहम्मद सलीम खान,हाजी लुकमान कुरैशी,शेख अहमद जमा,मोफिक अहमद,जावेद अख्तर एडवोकेट,कुंवर जावेद इकबाल,रियाज कुरैशी,मोहम्मद असलम कुरैशी,कलीम खान,अलीम सिद्दीकी, सैयद नफीसुल हसन,महमूद पटवारी,इमरान देशभक्त,जुल्फिकार ठेकेदार,तंजीम निजामी व जुबैर काजमी आदि ने नमाज अदा की।