लंदन से नौकरी छोड़ गांव लौटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अब खेती से कमा रहा सालाना 40 लाख, घर की खेती को तकनीक से दी ऊंचाई

हर किसी का सपना अच्छी नौकरी होता है। वह भी अगर विदेश में मिल जाए तो लोग फूले नहीं समाते। लेकिन संतकबीरनगर के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरविंद प्रताप नारायण चतुर्वेदी का मन जल्दी ही नौकरी से उचट गया। उन्हें उनका गांव पुकारने लगा। अरविंद ने मन की आवाज सुनी और लंदन में मिल रहा अच्छा पैकेज छोड़कर गांव आ गए। पढ़ाई और तकनीक का इस्तेमाल खेती में किया। आज वह फल-सब्जी की खेती से सालाना लाखों कमा रहे हैं। उन्हें देखकर दूसरों का मन भी किसानी में रमने लगा है। संतकबीरनगर की धनघटा तहसील के मलौली के रहने वाले भानु प्रताप चतुर्वेदी बड़े किसान हैं। खेती के बल पर ही उन्होंने अपने बेटे अरविंद प्रताप नारायण चतुर्वेदी को अच्छी शिक्षा दिलाई। अरविंद ने बीटेक करने के बाद 2014 में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज गुरुग्राम में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी शुरू की। जल्द ही 2015 में मौका मिला और वह लंदन चले गए। जाहिर तौर पर सैलरी भी अच्छी थी लेकिन उन्हें नौकरी रास नहीं आई। दिल-दिमाग में कुछ और चल रहा था। आखिरकार दो साल बाद ही वह अपने गांव लौट आए। अरविंद प्रताप नारायण चतुर्वेदी के पिता भानु प्रताप चतुर्वेदी बड़े किसान हैं। साल 2013 में तीन एकड़ खेत में केले की खेती शुरू की। लाभ दिखा तो दायरा 10 एकड़ तक बढ़ा दिया। उसके साथ टमाटर, गोभी, बैगन, मटर आदि सब्जियां भी उगाते थे। अरविंद जब घर लौटे तो खेती में देश-विदेश की तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया। विदेशी प्रजाति के तरबूज, खरबूज व अन्य फसलें उगानी शुरू की। आज वह सालाना 30 से 40 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। खेती के बल पर घर, गाड़ी आदि के साथ ही 10 एकड़ जमीन भी खरीदी। उनसे नसीहत लेकर बेलौर के लक्ष्मी नारायण दुबे, कटया के अनिल चौधरी के अलावा अन्य कई लोग भी केले की खेती कर रहे हैं। अरविंद को तैयार फसल के बाजार को लेकर भटकना नहीं पड़ता है। वह बताते हैं कि कोलकाता तक के व्यापारी संपर्क में हैं। खेत से ही व्यापारी फसल उठा लेते हैं। बाहर के व्यापारियों से जो बचता है, उसे स्थानीय मंडी कारोबारी खरीद लेते हैं। अरविंद कहते हैं कि यदि इच्छाशक्ति, नई सोच और तकनीक के साथ काम किया जाए तो खेती घाटे का सौदा नहीं है। अरविंद नारायण का कहना है कि कुछ किसानों ने प्रेरित होकर केले व सब्जी की खेती शुरू की है। धीरे-धीरे नया प्रयोग करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। कुछ किसान और साथ आए तो इस क्षेत्र को केले और सब्जी की खेती का हब बनाएंगे।

पर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे पर फॉलो करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *