बदल रही है हरिद्वार जिले की सियासत, रुड़की नगर निगम के बाद हरिद्वार जिला पंचायत में भी नया चेहरा
रुड़की । हरिद्वार जिले की सियासत बदल रही है। मानो के यहां की सियासत में पुराने नेताओं की कमजोर और नए नेता पकड़ मजबूत होती जा रही है। देखा जाए तो पिछले एक महीने में हरिद्वार जिले की सियासत में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। वो ऐसे। पहले तो रुड़की नगर निगम के चुनाव में आम मतदाता ने यहां की सियासत की पूरी तस्वीर ही बदल दी। पुरानो को घर भेज दिया और नयो को जिम्मेदारी सौंप दी। इसमें चाहे मेयर रहे हो या फिर पार्षद। मेयर भी नए चेहरे को चुना तो अधिकतर पार्षद भी नए चेहरे ही चुनकर नगर निगम बोर्ड में भेजें। ऐसा नहीं है कि नगर निगम के मेयर और पार्षद के चुनाव में पुराने नेता मैदान में न उतरे हो। बहुत सारे पुराने नेता मैदान में उतरे थे। लेकिन जनता ने उन्हें एक तरह से नकार दिया है। यानी कि जनता ने साफ कर दिया है कि आजमाए हुए को आजमाना उचित नहीं है। जिस कारण रुड़की नगर निगम की सियासत पूरी तरह बदल गई है। अब इसके बाद हरिद्वार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव हुए। इन चुनावों पर भी पूरे प्रदेश की निगाह रही। सब देख रहे थे कि हरिद्वार के निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य अजमाए हुए को ही आजमाते हैं या फिर नए को जिला पंचायत की कमान सौंपते हैं। यहां पर आजमाएं हुए नेताओं में चौधरी राजेंद्र सिंह और पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद शामिल रहे। लेकिन हरिद्वार जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों ने भी रुड़की नगर निगम की तरह अजमायो हुओ को नहीं आजमाया और यहां की कमान नए को सौंप दी। सुभाष वर्मा जिला पंचायत अध्यक्ष बने। आज उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है। इसके चलते जिला पंचायत में नव युग की शुरूआत हो गई है। यार आर्थिक जानकारों का भी मानना है कि रुड़की नगर निगम में गौरव गोयल का मेयर और हरिद्वार जिला पंचायत में सुभाष वर्मा का अध्यक्ष बनने से साफ है कि हरिद्वार जिले की सियासत बदल रही है। उनका कहना है कि रुड़की नगर निगम और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के बीच में गन्ना विकास समितियों के चुनाव हुए। वहां पर भी पुरानो को मौका न मिलकर नयो को मौका मिला। ऐसा नहीं है कि गन्ना विकास समिति के डायरेक्टर और चेयरमैन पद पर पुराने लोगों ने किस्मत न आजमाई हो। उनके द्वारा बड़ी कोशिश की गई । जोड़-तोड़ में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन हरिद्वार की जो सियासत बदल रही है। उसमें पुराने नेता फिट नहीं बैठ पा रहे हैं जिस कारण बाजी नये नेताओं के हाथ लग रही हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आने वाले और चुनाव में भी पुराने नेताओं को जगह मिल पाना मुश्किल रहेगा। क्योंकि मैं नेताओं के द्वारा वर्ष 2020 में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। जिसमें इस बार कम ही पुराने नेता जीत सकेंगे। अधिकतर नए चेहरे ही चुनकर आएंगे। जैसे कि अभी कोटवाल आलमपुर जिला पंचायत सदस्य सीट पर जो उपचुनाव हुआ है उसमें भी सोनिका ने जीत हासिल की है। यह भी बड़े बदलाव के संकेत हैं कि अब पुराने नेताओं पर नये नेताओं ने बढ़त बनानी शुरू कर दी है। देखा जाए तो हरिद्वार जिले की विधानसभा की सियासत में तो पुराने नेताओं की पहले ही विदाई हो चुकी है। रामसिंह सैनी, चौधरी यशवीर सिंह, चौधरी कुलबीर सिंह, चंद्रशेखर प्रधान, अमरीश कुमार, बलवंत सिंह चौहान, रामयश सिंह, एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा आदि एक दर्जन नेता ऐसे हैं। जो कि या तो पिछले विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं या फिर टिकट न मिलने के कारण वह विधानसभा की सियासत से बेदखल हो गए हैं। चुनावी समीक्षक भी बता रहे हैं कि अब जो 50 वर्ष से कम आयु का मतदाता है । वह उम्रदराज नेताओं को पसंद नहीं कर रहा है। उसकी कोशिश नए नेताओं को बोर्ड और विधानसभा में भेजने की है। इसीलिए जिले की सियासत तेजी से बदल रही है। यदि कोई नौजवान नेता चुनाव मैदान में नहीं होता तो उसमें भी मतदाता की कोशिश नए को ही आजमाने की रहती है।