महाशिवरात्रि: इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था, इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था

हरिद्वार । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास होता है। इस पावन दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत किया जाता है। आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास होता है। इस पावन दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत किया जाता है। 21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी। शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव पर पूजा करते वक्त बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर होंगी साथ ही मांगी हुई मुराद भी पूरी होगी। ईशान संहिता के अनुसार ‘फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:। तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि:।’ अर्थात् फाल्गुन चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिव लिंगरूप में अमिट प्रभा के साथ उद्भूत हुए। इस रात को कालरात्रि और सिद्धि की रात भी कहते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के पर्व को शिव साधक बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं और पूजा और कीर्तन करते हैं।

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