एपी कनविंदे मेमोरियल लेक्चर सीरीज के उद्घाटन संस्करण में आर्किटेक्चर पर हुई ज्ञानवर्धक चर्चा, दिवंगत आर्किटेक्ट पद्मश्री एपी कनविंदे के सम्मान में आयोजित किया गया लेक्चर सीरीज
रुड़की । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने एपी कनविंदे मेमोरियल लेक्चर सीरीज का आयोजन किया, जिसके उद्घाटन संस्करण में आर्किटेक्चर पर ज्ञानवर्धक चर्चा हुई। यह लेक्चर, आर्किटेक्चर व प्लानिंग विभाग द्वारा दिवंगत आर्किटेक्ट पद्मश्री एपी कनविंदे के सम्मान में आयोजित किया गया था। एपी कनविंदे को आधुनिक (स्वतंत्र भारत) भारतीय आर्किटेक्ट के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उद्घाटन सत्र का विषय ‘आर्किटेक्चर इन कॉनटेक्स्ट’ था, जिसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय (यूएसए) के प्रोफेसर और प्रख्यात आर्किटेक्ट राहुल मेहरोत्रा व आर्किटेक्ट संजय कनविंदे ने सम्मानित वक्ताओं के रूप में हिस्सा लिया। संस्थान की तरफ से आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, एपी कनविंदे मेमोरियल व्याख्यान श्रृंखला के संयोजक प्रो. गौरव रहेजा और प्रो. पीएस चानी ने वक्ताओं का स्वागत किया।
आर्किटेक्ट संजय कनविंदे ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) सहित आईआईटी रुड़की में आर्किटेक्ट एपी कनविंदे के योगदान के आर्काइव के माध्यम से उनके कार्यों और दर्शन पर विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने एपी कनविंदे के एक कथन “मेरी इमारतें मेरी सबसे अच्छी स्मृति हैं। मुझे किसी अन्य स्मृति की आवश्यकता नहीं है।” को भी उपस्थित लोगों के साथ साझा किया। वक्ताओं में से एक, आर्किटेक्ट राहुल मेहरोत्रा ने कहा, “आर्किटेक्ट्स और प्रशिक्षुओं को साइट, क्लाइमेट आदि का ध्यान रखते हुए वर्तमान समय के संदर्भ में डिजाइन विकसित करना चाहिए। यहां तक कि इस प्रक्रिया में लोगों की जीवन शैली, संस्कृति और जगह के इतिहास जैसी बातों की प्रासंगिकता को भी शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह माना कि, आर्किटेक्ट लगातार ‘स्फीयर ऑफ कंसर्न’ को सुदृढ़ करते हैं, साथ ही साथ समाज के माध्यम से भविष्य के आर्किटेक्चर को आकार देने के लिए प्रयास करते हैं। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “पद्मश्री एपी कनविंदे एक आर्किटेक्ट के रूप में उत्कृष्ट थे, जिनका काम वर्तमान पीढ़ी के आर्किटेक्ट्स को भी प्रेरित कर रहा है। विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट राहुल मेहरोत्रा द्वारा दिए उद्घाटन व्याख्यान ने इस व्याख्यान श्रृंखला के आगामी संस्करणों के लिए भी बढ़िया आधार रखा है।”
आर्किटेक्ट राहुल मेहरोत्रा ने अपने कार्यों के माध्यम से श्रोताओं को प्रेरित किया कि वे हाउसिंग से लेकर वर्कप्लेस तक की छोटी और बड़ी परियोजनाओं को डिजाइन करते समय लोकल क्लाइमेट और ह्यूमन कंटेक्स्ट के अनुरूप अभिनव तरीके अपनाएं। उन्होंने स्विटज़रलैंड के बेसल स्थित नोवार्टिस कैंपस के लैब ऑफ द फ्यूचर और सीईपीटी अहमदाबाद के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की लाइब्रेरी व जयपुर में 100 हाथियों और उसके रखवालों के लिए एक यूनिक सोशल हाउसिंग प्रोजेक्ट जैसी कई दिलचस्प परियोजनाओं का प्रदर्शन किया।
आखिरी में, प्रो. मेहरोत्रा ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों को भी संबोधित किया। उनके ज्ञानवर्धक व्याख्यान ने आईआईटी रुड़की के फ़ैकल्टी और छात्रों समेत उपस्थित श्रोताओं को प्रेरित किया।
एपी कनविंदे मेमोरियल व्याख्यान श्रृंखला के संयोजक प्रो. गौरव रहेजा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।
एपी कनविंदे एक प्रसिद्ध आर्किटेक्ट थे, जिन्हें आईआईटी कानपुर के सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट्स, खोसला इंटरनेशनल हाउस, आईआईटी रुड़की (तत्कालीन रुड़की विश्वविद्यालय) के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड नेशनल रिसर्च और गंगा भवन व नई दिल्ली स्थित नेशनल साइंस सेंटर समेत कई अन्य प्रतिष्ठित बिल्डिंग की डिजाइन का श्रेय जाता है। उन्होंने ब्रूटालिस्ट आर्किटेक्चर के एलिमेंट्स के साथ कार्यात्मक दृष्टिकोण का समर्थन किया। उनके डिजाइन का मुख्य आकर्षण एक संरचनात्मक और स्थानिक आयाम देने वाले मैट्रिक्स बनाने के लिए कॉलम के ग्रिड का इस्तेमाल था। उन्हें आईआईए बाबूराव म्हात्रे गोल्ड मेडल और पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।