केंद्रीय विद्यालय क्रमांक – 1 रूड़की में अग्नि सुरक्षा मौक ड्रिल कार्यक्रम का आयोजन
रुड़की। आज केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 रूड़की में अग्नि सुरक्षा के लिए मौक ड्रिल कार्यक्रम का आयोजन बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर रूडकी के फायर सेफ्टी यूनिट के द्वारा किया गया । उन्होंने बच्चों को बताया कि आग के कितने प्रकार होते है एवं उन्हें बुझाने में इस्तेमाल होने वाले अग्नि शमन यंत्र कितने प्रकार के होते है । हर एक आग को बुझाने के अलग अलग तरीके होते है |उन्होंने बताया कि आग को पांच केटेगरी में बांटा गया है | टाइप ए, बी, सी, डी और इ । इसके अंतर्गत कपडे एवं लकड़ी, एल पी जी सिलेंडर, पेट्रोल डीजल, एवं विद्युत् शोर्ट सर्किट से लगने वाली आग आती है | इन्हें बुझाने में इस्तेमाल होने वाली अग्नि शमन यंत्र भी अलग अलग तरह के इस्तेमाल होते है । जैसे: कार्बन डाइ ऑक्साइड आधारित यंत्र , फोम आधारित यंत्र, रसायन आधारित यंत्र, रेत एवं पानी इत्यादि है । यदि आपके कपड़ो में आग लग जाए तो भागे नहीं ,इससे आग और भड़केगी | उन्होंने बच्चों को अग्नि शमन यंत्र का प्रयोग करके दिखाया तथा इसका प्रयोग करना भी सिखाया। उन्होंने बताया कि जमीन पर लेट जाए और उलट पलट (रोल) करे। किसी कम्बल, कोट या भारी कपडे से ढक कर आग बुझाएं।प्राचार्य वीके त्यागी ने अग्नि सुरक्षा के बारे में विद्यार्थियों को बताया कि आग लगने पर सबसे पहले इमारत की अग्नि चेतावनी की घंटी (फायर अलार्म) को सक्रिय करें |फिर बहुत जोर से “आग-आग” चिल्लाकर लोगों को सचेत करें । चेतावनी कम शब्दों में ही दें, नहीं तो लोगों को घटना की गंभीरता समझने में ज्यादा समय लग जायेगा । धुएँ से घिरे होने पर अपने नाक और मुँह को गीले कपडे से ढँक लें । अगर सिलेंडर घर के अन्दर खुला रह गया हो तो मोमबत्ती से चेक न करें तथा न ही शोर्ट सर्किट से लगे आग पर पानी डालें । अगर इन छोटी छोटी बातों की हमें जानकारी रहेगी तो आग लगने के दौरान होने वाले जान – माल के नुकसान को हम कम कर सकते है ।अग्नि सुरक्षा के लिए मौक ड्रिल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपप्राचार्या श्रीमती अंजू सिंह ने बताया कि भारी धुंआ और जहरीली गैस सबसे पहले छत की तरफ इकट्ठा होती है, इसलिए अगर धुआं हो तो ज़मीन पर झुक कर बैठें।साथ ही आज विद्यालय के प्रातः कालीन सभा में गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता दिखाते हुए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ विनय सेठी द्वारा डिजाईन किये गये गौरया के लिए लकड़ी के छोटे छोटे घर को अपने घर के बाहर लगाने के लिए ले गये| ये प्राचार्य वी के त्यागी के निर्देशन में छोटे छोटे बच्चों द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं गौरैया संरक्षण की दिशा में एक सार्थक प्रयास की शुरुआत है ।इस अवसर पर श्रीमती पूनम कुमारी, कपिल देव, विवेक कौशिक, ओमबीर सिंह, श्रीमती अलका अगरवाल, प्रभाकर शर्मा, सुशील कुमार तथा हरिनंद भी उपस्थित रहे।