धान की खेती में लगते हैं दो बड़े रोग, झोंका और झुलसा के ये हैं लक्षण, ऐसे कर सकते हैं कंट्रोल
देश के ज्यादातर हिस्सों में धान रोपाई लगभग पूरी हो गई है। इसके बाद अब इसके पौधों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। धान 35 दिन का होने तक इसमें झोंका रोग और शीथ ब्लाइट यानी झुलसा रोग लगता है। यह धान की फसल का मुख्य रोग है जो एक पाइरीकुलेरिया ओराइजी नामक फफूंद से फैलता है। अगर आप इस रोग से अपनी धान की खेती को बचाना चाहते हैं तो एक फंगीसाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रति एकड़ 650 रुपये तक की लागत आएगी। अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र या फिर किसी कृषि वैज्ञानिक से सलाह लेकर फंगीसाइड का इस्तेमाल करके आप नुकसान से बच सकते हैं।
सबसे पहले हम झोंका रोग के लक्षण और उसके निदान के बारे में समझते हैं। इस रोग के लक्षण पौधे के अधिकांश भागों पर दिखाई देते हैं। परंतु सामान्य रूप से पत्तियां और पुष्पगुच्छ की ग्रीवा इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं। प्रारंभिक लक्षण यह है कि पौधे की निचली पत्तियों पर धब्बे दिखाई देते हैं। जब ये धब्बे बड़े हो जाते हैं तो ये धब्बे नाव अथवा आंख की जैसी आकृति के जैसे हो जाते हैं। इन धब्बों के किनारे भूरे रंग के तथा मध्य वाला भाग राख जैसे रंग का होता है। बाद में धब्बे आपस में मिलकर पौधे के सभी हरे भागों को ढक लेते हैं, जिससे फसल जली हुई दिखने लगती है।
कैसे करेंगे कंट्रोल
इसके नियत्रण के लिए पत्तियों पर इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही कासु बी 3% एल. 400-600 मिली/ एकड़ या गौडीवा सुपर 29.6 % एस.सी. 200 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव कर सकते हैं। यह फंगीसाइड है, एक एकड़ की लागत 600 से 650 रुपये आएगी।
शीथ ब्लाइट यानी झुलसा रोग
झुलसा एक फफूंद जनित रोग है, जिसका रोग कारक राइजोक्टोनिया सोलेनाई है। अधिक पैदावार देने वाली एवं अधिक उर्वरक उपभोग करने वाली प्रजातियों के विकास से यह रोग धान के रोगों में अपना प्रमुख स्थान रखता है, इसका इतना असर है कि उपज में 50 प्रतिशत तक नुकसान कर सकता है।
रोग की पहचान कैसे करें
इस रोग का संक्रमण नर्सरी से ही दिखना शुरू हो जाता है। जिससे पौधे नीचे से सड़ने लगते हैं। मुख्य खेत में ये लक्षण कल्ले बनने की अंतिम अवस्था में प्रकट होते हैं। लीफ शीथ पर जल सतह के ऊपर से धब्बे बनने शुरू होते हैं। इन धब्बों की आकृति अनियमित तथा किनारा गहरा भूरा व बीच का भाग हल्के रंग का होता है। पत्तियों पर घेरेदार धब्बे बनते हैं। कई छोटे-छोटे धब्बे मिलकर बड़ा धब्बा बनाते हैं। इसके कारण शीथ, तना, ध्वजा पत्ती पूर्ण रूप से ग्रसित हो जाती है और पौधे मर जाते हैं। खेतों में यह रोग अगस्त एवं सितंबर में अधिक तीव्र दिखता है। संक्रमित पौधों में बाली कम निकलती है तथा दाने भी नहीं बनते हैं।
झुलसा को कैसे करेंगे कंट्रोल
इस रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही लस्टर 37.5 % एस.ई. 484 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें। एक और विकल्प है. इसके लिए शीथमार 3% एल 360 मिली प्रति एकड़ या गौडीवा सुपर 29.6% एससी 200 मिली का छिड़काव करें, दवाओं का छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करें। वरना छिड़कांव बेकार हो जाएगा, लस्टर 384 एमएल प्रति एकड़ लगेगा। धानुका एग्रीटेक ने इसका दाम 1250 रुपये रखा हुआ है। जबकि गौडीवा सुपर का दाम एक हेक्टेयर के लिए 650 रुपये लगेगा।