11 और 12 अगस्त को मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कर पंचामृत अर्पित करना चाहिए, माखन मिश्री का भोग लगाएं
रुड़की । भादो का महीना चल रहा है. भादो सावन की तरह त्योहारों का महीना माना जाता है. भादो के महीने की षष्ठी को बलराम जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. भादो महीने की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस माहीने में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस बार जन्माष्टमी 11 और 12 अगस्त को मनाई जाएगी. जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से लेकर 02 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा. पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. जन्माष्टमी के पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कर पंचामृत अर्पित करना चाहिए. माखन मिश्री का भोग लगाएं. हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है. मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भारत में लोग अलग–अलग तरह से जन्माष्टमी मानते हैं. वर्तमान समय में जन्माष्टमी को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन साधू-संत जन्माष्टमी मानते हैं. मंदिरों में साधू-संत झूम-झूम कर कृष्ण की अराधना करते हैं, इस दिन साधुओं का जमावड़ा मंदिरों में सहज है. उसके अगले दिन दैनिक दिनचर्या वाले लोग जन्माष्टमी मानते हैं।