युवाओं ने बदल दिया जिला पंचायत का इतिहास, शहजाद और राजेंद्र से छिनी जिला पंचायत की सत्ता
रुड़की । युवा नेताओं की टीम ने जिला पंचायत हरिद्वार का इतिहास बदलकर रख दिया है। यानी कि जयंत ,मुकर्रम, बिजेंद्र के सामने चौधरी राजेन्द्र सिंह और हाजी मोहम्मद शहजाद चारों खाने चित हो गए हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में इन युवा नेताओं ने यह बात पूरी तरह साफ कर दी है कि अब सियासत बदल रही है। दरअसल, हरिद्वार जिला पंचायत में चौधरी राजेंद्र सिंह और हाजी मोहम्मद शहजाद के बाद कुछ कभी नहीं बचा। इसीलिए जो भी चुनाव होता था जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार सबसे पहले इन नेताओं से ही संपर्क साधता था। जिसमें एक और हाजी मोहम्मद शहजाद खड़े हो जाते थे तो दूसरी ओर चौधरी राजेंद्र। इस बार भी इन दोनों नेताओं का यही मानना था कि भले ही राज्य में भाजपा की सरकार हो । लेकिन जिला पंचायत की सत्ता उन्हीं के पास रहेगी। इसीलिए चौधरी राजेंद्र सिंह और हाजी मोहम्मद शहजाद ने आश्चर्यजनक ढंग से हाथ मिलाया। लेकिन जिला पंचायत की सियासत को करीब से देख रही युवाओं की टीम ने भी इस बार ठान ली थी कि इन दोनों नेताओं को जिला पंचायत बोर्ड से बेदखल करके ही मानेंगे। हुआ भी यही। एक और राजेंद्र सिंह और मोहम्मद शहजाद ने अपना संयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारकर बबलू राणा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जिताने के लिए पूरे जोर लगाए। इन दोनों नेताओं के द्वारा हर राजनीतिक दांव खेला गया। यहां तक कि अंतिम समय में आकर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा बनाम विपक्ष का बना दिया। ताकि कांग्रेस बसपा व अन्य दलों से समर्थन तो सभी जिला पंचायत सदस्य भाजपा के मुकाबले लामबंद हो जाए और उनका संयुक्त प्रत्याशी बबलू राणा जीत हासिल कर ले। यहां तक कि अंतिम समय में मोहम्मद शहजाद और राजेंद्र चौधरी ने मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन तक का सहयोग लिया। राव आफाक व अन्य कुछ सदस्यों की वोट हासिल करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक से बातचीत की। सुभाष वर्मा को कमजोर करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से संपर्क साधा गया। यह बात अलग है कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री से संपर्क साधने के बाद भी मोहम्मद शहजाद और चौधरी राजेंद्र को कुछ हासिल नहीं हुआ। क्योंकि युवा नेताओं की टीम के पास मोहम्मद शहजाद और चौधरी राजेंद्र के हर दांव की काट पहले से ही थी। उन्होंने पहले ही जिला पंचायत सदस्यों को समझा दिया था कि इस बार हाजी मोहम्मद शहजाद और चौधरी राजेंद्र सिंह को जिला पंचायत की सियासत से बेदखल करना है। युवा नेता जिला पंचायत सदस्यों को के जेहन में यह बात पूरी तरह बैठा दी की जिला पंचायत पर कब्जा जमाए रखने के लिए इन दोनों नेताओं के बीच पर्दे के पीछे की दोस्ती लगातार चली आ रही है। सदस्यों को युवाओं ने बताया कि हाजी मोहम्मद शहजाद जब सविता चौधरी को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री के यहां तक जा रहे थे तो फिर से अचानक ऐसे कौन से कारण बन गए कि उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कार्यक्रम हो घोषित होते ही फिर से राजेंद्र चौधरी के साथ हाथ मिला लिया। यह बात अधिकतर जिला पंचायत सदस्यों की समझ आई और उन्होंने एकजुट होकर सुभाष वर्मा को समर्थन कर दिया। नतीजतन राजेंद्र चौधरी और मोहम्मद शहजाद जिला पंचायत अध्यक्ष के अखाड़े में चारों खाने चित हो गए। राजनीतिक जानकार भी इस बात को मान रहे हैं कि जयंत चौहान, मुकर्रम अंसारी, विजेंदर चौधरी सुशील चौधरी, प्रदीप चौधरी, सुबोध राकेश, गुरजीत लहरी, राजू सैनी ,विजय सैनी, भूप सिंह आदि में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गजब का तालमेल देखा गया। एक ने जो कहा। सभी ने सुना और जो सही लगा सारे साथी एक साथ उसी मिशन पर लग गए। जिसके चलते युवाओं के साथ ही इनके द्वारा कई सीनियर जिला पंचायत सदस्यों को भी अपने साथ ले लिया गया। युवाओं की टीम को इस बात का पहले से ही आभास था कि चौधरी राजेंद्र और मोहम्मद शहजाद निश्चित रूप से कुछ जिला पंचायत सदस्यों को क्रॉस वोटिंग कराने की कोशिश करेंगे। इसीलिए उन्होंने सोची समझी रणनीति के तहत कुछ विश्वास पात्र सदस्यों को ढिलाई दी । ताकि दोनों नेता उनके जाल में फंस जाएं। ऐसा ही हुआ है। शहजाद और राजेंद्र को जिन सदस्यों से क्रॉस वोटिंग की उम्मीद थी । उन्होंने क्रॉस वोटिंग की ही नहीं। क्योंकि वह एक सोची-समझी रणनीति के तहत ही क्रॉस वोटिंग के लिए तैयार हुए थे। राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि युवाओं की टीम ने उन सदस्यों को पहले ही अपने साथ ले लिया था जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वह दबाव पड़ने पर शहजाद और राजेंद्र के साथ जा सकते हैं। इसमें अनिल सैनी, जावेद, अरविंद कुमार आदि शामिल रहे हैं। बहरहाल, हरिद्वार जिला पंचायत का इतिहास बदल गया है। पहली बार मोहम्मद शहजाद और राजेंद्र चौधरी के बिना सुभाष वर्मा जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। इस बात को लेकर हरिद्वार जिले की सियासत कार भी हैरत में हैं और खुद दोनों दिग्गज नेता भी समझ नहीं पा रहे हैं कि यह हो गया क्या। जबकि युवाओं की टीम खासी उत्साहित है। जिला पंचायत अध्यक्ष की जीत पर इस युवा टीम की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक ने तारीफ की है।