किराया वसूलने वाले नहीं हुए चिन्हित, अतिक्रमण हटाओ अभियान बेअसर शहर में बहुत लोग वसूल रहे हैं अतिक्रमण का किराया

रुड़की । वैसे तो चाहे पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान चला ले यह तहसील प्रशासन या फिर नगर निगम प्रशासन। यह अभियान पूरी तरह से कभी सफल हुआ ही नहीं। वजह राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप। दरअसल, रुड़की शहर में बहुत सारे लोग अतिक्रमण का किराया वसूल रहे हैं। इसी वजह से चाहे बाजार हो या गली मोहल्ले के मार्ग। सभी जगह आवागमन बाधित हो रहा है और जाम की समस्या बढ़ रही है। अब सिविल लाइंस, मेन बाजार, बीटी गंज ,अंबर तालाब, पुराना रेलवे रोड ,रामनगर, पुरानी तहसील ,हरिद्वार और देहरादून हाईवे के बाजारों पर गौर कर लिया जाए तो 2700 से अधिक जगह बड़ी दुकानों के सामने छोटी दुकानें लगी है जो की पूरी तरह सड़क पर हैं। पहले यह छोटी दुकानें करीब 2000 थी जो बढ़कर अब इतनी अधिक पहुंच गई है। बड़ी दुकानों के सामने जो छोटी दुकान सड़क पर लगी हैं। उनका किराया दुकान स्वामी 10 से ₹15000 महीना वसूल रहे हैं। कुछ जगह तो दुकानों के सामने नाले पर बैठने के लिए वॉचमेकर, मोबाइल मकैनिक से प्रतिदिन एक ₹1000 लिया जा रहा है। सोचने यह है कि एक तरफ तो पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रखे गए हैं दूसरे सिविल लाइंस मेन बाजार हरिद्वार रोड दिल्ली रोड पर बड़ी दुकानों के सामने सड़क पर लगी छोटी दुकानों में से एक भी नहीं हटाई गई है। न ही संबंधित दुकानदार को आगाह किया गया है कि वह अपने दुकान के सामने ही छोटी दुकान का किराया वसूल रहा है । उसे तत्काल बंद कराए। नागरिकों का कहना है कि दुकानदार अपनी दुकान का सामान नाले की स्लैब और सड़क पर तक फैला लें तो बात समझ आती है। लेकिन यदि वह अपनी दुकान के सामने एक और छोटी दुकान सड़क पर लगवा लें और उसका किराया वसूलना लगे तो इसे पुलिस, नगर निगम और तहसील प्रशासन की मिलीभगत यानाका में ही कहा जाएगा। रुड़की चौराहे पर ही देखिए । कई दुकानें बड़ी दुकानों के सामने चल रही है। कुछ खाली प्लॉटों के सामने लगी है । कुछ पार्क के अगल-बगल लगी हुई है ।जिनके कारण आवागमन बाधित हो रहा है और जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। लेकिन कोई इन्हें रोकने टोकने वाला नहीं। शहर में कुछ दुकानें ऐसी भी है जो कि बंद है पर संबंधित दुकानदार अपनी दुकानों के सामने सड़क पर छोटी दुकान लगवाकर उन से किराया वसूली कर रहे हैं जो कि सरासर गलत है। कुछ जगह पान के खोखे लगवाए गए हैं तो कुछ जगह है रेडी और फड़ भी दुकान प्लाट के सामने लगे हैं। इसी तरह से नगर निगम कार्यालय से लेकर बोट क्लब तक देखा जाए तो अतिक्रमण ही अतिक्रमण है। यहां पर आधी सड़क पर अतिक्रमण है तो साफ है जाम लगेगा ही और नागरिकों को असुविधा होगी ही। नई मंडी चौराहे पर जाकर देखा जाए तो पूरा चौराहा ही अतिक्रमण की चपेट में है ।यहां पर बस स्टॉपेज और टेम्पो स्टापेज भी है। जिस पर वाहन की इंतजार के लिए खड़े होने की जगह तक नहीं मिल रही है। मलकपुर चुंगी, एसडीएम चौराहा गणेशपुर पुल तिराहा, मालवीय तिराहा, रामनगर चौक,जीआईसी तिराहा, सुनहरा चौक पर प्रतिक्रमण फैला हुआ है। गणेशपुर में रेलवे रोड पर अवैध रूप से सब्जी, फल रेहडी लग रही है हालांकि यह एक सुविधा भी है लेकिन अब तो सब्जी फल विक्रेता सड़क तक अपना सामान रखने लगे हैं। जिस कारण रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यदि जाम की समस्या के और कारणों पर गौर करें तो ई रिक्शा भी जाम की सबसे बड़ी वजह बन रही है। ई रिक्शा ड्राइवर कब यू टर्न कर दे। कुछ पता नहीं चलता ।अंबर तालाब , अनाज मंडी चौक, बीटी गंज चौक पर तो ई रिक्शा के कारण ही जाम लगा रहता है। लेकिन कोई कहने सुनने वाला नहीं है। अब यहां पर सवाल एक यह भी खड़ा होता है कि जब नई कचहरी में ही मुख्य मार्ग पर ही अतिक्रमण के कारण आने-जाने में दिक्कत हो रही है तो फिर अन्य मार्ग कैसे अतिक्रमण मुक्त रह सकते हैं। नई कचहरी में चैम्बरों के सामने दुपहिया वाहन खड़े हो रहे हैं । कुछ जगह आगे चलकर कार व अन्य फोर व्हीलर खड़े होने के कारण आने-जाने में दिक्कत हो रही है।

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