कविताओं के माध्यम से दी गई सुविख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद जगदीश शरण को श्रद्धांजलि, कार्यक्रम का संचालन पंकज त्यागी ने किया

रुड़की । सुविख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्वर्गीय जगदीश शरण के जन्मदिन पर नगर की साहित्यिक संस्था नव सृजन की ओर से एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन एक होटल में किया गया। देर रात्रि तक चले इस कार्यक्रम में श्रोताओं ने कविताओं का भरपूर आनंद उठाया । कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुबोध पुंडीर “सरित ” ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच को जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉक्टर आनंद भारद्वाज , एसडीपीजी कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉक्टर शालिनी जोशी पंत , प्रसिद्ध साहित्यकार पत्रकार एवं एडवोकेट श्री श्रीगोपाल नारसन ,तथा स्कॉलर्स एकेडमी रुड़की के चेयरमैन श्याम सिंह नागयान ने सुशोभित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के सामने मुख्य अतिथियों व अन्य कवि गणों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्चात नगर के जाने-माने शायर इरशाद सेवक द्वारा मां सरस्वती की वंदना बहुत ही सुरीली अंदाज में प्रस्तुत की गई। कवि सम्मेलन के आरंभ में स्वर्गीय जगदीश शरण के सुपुत्र नवीन शरण “निश्चल” द्वारा जब अपने पिताजी को समर्पित एक भावपूर्ण रचना पढ़ी गई तो उसे संपूर्ण श्रोताओं का आशीर्वाद मिला । अशोक कुमार शर्मा “आर्य ” ने स्वर्गीय जगदीश शरण जी का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर उनकी ही एक रचना “जिस दिए में भरा तेल खैरात का” सुना कर श्रोताओं का भरपूर समर्थन प्राप्त किया। धीरेंद्र कुमार सैनी ने भी स्वर्गीय जगदीश शरण की एक रचना “एकाकी का जीवन” सुना कर श्रोताओं का मन मोह लिया। नवसृजन संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने जब ओजपूर्ण वाणी में अपनी रचना “ना मंदिर को बनाना तुम ” सुनाया तो हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया। नीरज नैथानी ने अपनी कालाजायी रचना “सिलाएं भी बात करती हैं”सुना कर माहौल को भावपूर्ण बना दिया तथा श्रोताओं को बिगड़ते हुए पर्यावरण पर सोचने के लिए विवश कर दिया। नवोदित शायर साहिल माधोपुरी की गजलों को भी सदन का भरपूर समर्थन मिला। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पंकज त्यागी असीम ने अपनी ग़ज़ल “वो जिन्होंने झोपड़ी पर फेंकी जलती तीलियां/ अब हवा चलने लगी उनके मकानों की तरफ” सुना कर श्रोताओं की वाही वाही बटोरी। एसके सैनी की रचना “दुनिया में जो आता है” को भी लोगों ने काफी पसंद किया। महिला उत्पीड़न को रेखांकित करती डॉक्टर शालिनी जोशी पंत की रचनाएं भी काफी प्रभावशाली रही। श्री गोपाल नारसन ने अपने उद्बोधन में नवसृजन साहित्यिक संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्था नगर में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है तथा समय-समय पर अच्छे कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है । नारसन ने जब “माँ” शीर्षक से अपनी रचना सुनाई तो माहौल भावुक हो गया। मुख्य अतिथि डॉक्टर आनंद भारद्वाज ने कहा कि नवसृजन साहित्यिक संस्था का यह कार्य अत्यंत प्रशंसनीय है कि वह एक दिवंगत साहित्यकार का जन्मदिन एक काव्य गोष्ठी आयोजित कर मना रही है तथा स्वर्गीय साहित्यकार को काव्यात्मक श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस अवसर पर डॉ आनंद भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत लाजवाब रचनाओं ने श्रोताओं को देर तक गुदगुदाया। कार्यक्रम के अध्यक्ष सुबोध पुंडीर सरित ने स्वर्गीय जगदीश शरण के साथ गुजरे अपने कॉलेज के दिनों को याद किया तथा श्रोताओं के साथ अपने संस्मरणों को साझा किया ,उन्होंने अपनी ओजपूर्ण रचनाओं से लोगों में उत्साह का संचार किया । इस कार्यक्रम में श्याम कुमार त्यागी, महेंद्र पाल सिंह , सुभाष चंद सैनी, प्रदीप सैनी एडवोकेट, यशपाल सैनी, महावीर सिंह, राज उपाध्याय , रतनलाल, श्रीमती स्नेह लता नागयान, श्रीमती प्रेमलता सैनी, श्रीमती रश्मि त्यागी, श्रीमती ईना सैनी, डॉक्टर संजीव कुमार सैनी, रणवीर रावत, मोहित सैनी आदि सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे । कवि सम्मेलन के अंत में स्कॉलर्स एकेडमी के चेयरमैन श्याम सिंह नागयान द्वारा सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share